Pakistan On Ram Mandir
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की स्थापना में शामिल होने के लिए तैयार हैं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सभी परंपराओं के संतों को भी निमंत्रण दिया गया है।मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, यह समारोह 16 जनवरी से शुरू होकर सात दिनों की अवधि में आयोजित किया जाएगा। 22 जनवरी को राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, जिसमें गणमान्य व्यक्ति और सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होंगे।
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बात करे देशभर में इस आयोजन को लेकर की जा रही तैयारी की तो राज्यों में इसका बीड़ा मुख्यमंत्रियों ने उठाया हैं। खासकर भाजपा और सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्यों में 22 जनवरी को दीवाली जैसा माहौल रहेगा। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में शुष्क दिवस होने के साथ यहाँ मानस मंडलियों द्वारा गांव से लेकर शहरों तक मानस गायन किया जाएगा। जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तो स्कूलों में भी इस थीम पर अनेक बाल कार्यक्रमों का आयोजन होगा। देशभर के हिन्दू परिवार अपने घरों को दिए से रौशन करेंगे। मंदिरों को रौशनी से नहलाया जाएगा।
तो यह थी भारत में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयार की खबरें लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में राम मंदिर को लेकर वहां की आवाम क्या सोच रही हैं? और पाकिस्तानी मीडिया इस पूरे आयोजन को लेकर किस तरह की कवरेज अपने लोगों तक पहुंचा रही हैं। बीबीसी से लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थान ने इस पर विस्तार से रिपोर्टिंग की हैं। बात पकिस्तान के स्थानीय मीडिया की करे तो वह भी अपने हुक्मरानों से इस बात सवाल जवाब कर रहे हैं।
पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा ने इस मुद्दे को लेकर विदेश मामलों के एक्सपर्ट साजिद तरार से बात की हैं। कमर चीमा ने साजिद तरार से पूछा कि क्या यह बदलता भारत है? इस पर उन्होंने कहा कि देश तभी तरक्की करता है जब एक पार्टी सत्ता में मजबूत हों। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर पार्टी राष्ट्रवादी होगी तो ही तरक्की होगी। अगर वह भ्रष्ट निकली तो देश बर्बाद भी हो जाता है।
अपनी बातचीत में उन्होंने यह भी दावा किया कि पीएम मोदी सिर्फ बहुसंख्यक हिंदुओं का वोट चाहते हैं और उनका फॉर्मूला फिट भी है, क्योंकि भारत ने तरक्की भी की है। साजिद तरार ने कहा कि क्योंकि यह साल इलेक्शन वाला है, इसलिए मंदिर के मुद्दे से वह फायदा लेना चाहते हैं। चाहे वह अयोध्या में हो, या अबू धाबी में हो। साजिद तरार ने कहा, ‘हम मुस्लिम जज्बाती हो जाते हैं, लेकिन सच बात है कि आक्रांता आए थे, जिन्होंने कई मंदिरों को मस्जिदों में बदला। यह अकेले बाबरी मस्जिद का मसला नहीं था।’