आज कालाष्टमी पर हो रहा त्रिग्रह योग का निर्माण.. वृषभ, सिंह, तुला समेत इन राशियों पर जमकर बरसेगा काल भैरव का आशीर्वाद

आज कालाष्टमी हो रहा त्रिग्रह योग का निर्माण.. वृषभ, सिंह, तुला समेत इन राशियों पर जमकर बरसेगा काल भैरव का आशीर्वाद

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Modified Date: June 18, 2025 / 06:37 AM IST
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Published Date: June 18, 2025 6:27 am IST
आज कालाष्टमी पर हो रहा त्रिग्रह योग का निर्माण.. वृषभ, सिंह, तुला समेत इन राशियों पर जमकर बरसेगा काल भैरव का आशीर्वाद
HIGHLIGHTS
  • आज 18 जून 2025 दिन बुधवार को कालाष्टमी मनाई जाएगी
  • कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित
  • आज मिथुन राशि में बुध, सूर्य और गुरु की युति से त्रिग्रह योग का निर्माण

18 June Horoscope 2025/Kalashtami: आज 18 जून 2025 दिन बुधवार को कालाष्टमी मनाई जाएगी। बता दें कि, कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित होता है। वहीं, काल भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता, न्याय के देवता (दंडपाणि) और बुरी शक्तियों का नाश करने वाला माना जाता है। आज मिथुन राशि में बुध, सूर्य और गुरु की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में आज का दिन वृषभ, सिंह, तुला और मकर राशि के लिए शुभ रहने वाला है।

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2025 Shubh Muhurt)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 जून दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 19 जून दिन गुरुवार को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। बता दें कि, कालाष्टमी की पूजा मुख्य रूप से रात में की जाती है, इसलिए 18 जून ही कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। बात करें पूजा के शुभ मुहूर्त की तो देर रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट (मध्यरात्रि) तक रहेगा। यह अवधि काल भैरव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। कहा जाता है कि, कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए ताकि उनकी कृपा प्राप्त हो और जीवन के सभी कष्ट दूर हों।

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कालाष्टमी पूजा विधि (Kalashtami 2025 Puja Vidhi)

  • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना कहते हुए व्रत का प्रण करें।
  • घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • शाम को (सूर्य अस्त होने से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का समय – प्रदोष काल) दोबारा स्नान करें या फिर हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं।
  • इसके बाद एक साफ चौकी पर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि प्रतिमा न हो तो आप भगवान शिव या मां काली की तस्वीर भी रख सकते हैं।
  • अब पूजा स्थल पर सरसों के तेल का एक दीपक जलाएं। यह दीपक रात भर जलता रहे तो और भी शुभ माना जाता है।