इस राज्य में है एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, पांडुपुत्र भीम ने की थी स्‍थापना

Asia's biggest shivling : गोंडा स्थित एशिया के इस सबसे बड़े शिवलिंग की खास बात ये है कि ये 15 फीट ऊपर दिखता है और 64 फीट जमीन के नीचे है।

इस राज्य में है एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, पांडुपुत्र भीम ने की थी स्‍थापना

Asia's biggest shivling

Modified Date: July 3, 2023 / 01:14 pm IST
Published Date: July 3, 2023 1:14 pm IST

नई दिल्ली : Asia’s biggest shivling : कल 4 जुलाई 2023 से सावन महीना शुरू होने जा रहा है। इस साल सावन का पवित्र महीना और भी विशेष होने जा रहा है, क्‍योंकि इस साल सावन में अधिक मास पड़ रहा है। इससे सावन महीना 59 दिन का होगा। सावन महीने में देश के प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन करना आपको शिव जी की विशेष कृपा दिला सकता है। देश में कई ऐसे शिव मंदिर हैं, जो सिद्ध और चमत्‍कारिक हैं। कुछ मंदिर ऐसे हैं, जिनको लेकर मान्‍यता है कि यहां मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। देश के ऐसे मशहूर मंदिरों में से एक उत्‍तर प्रदेश के गोंडा में स्थित पृथ्‍वीनाथ मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है।

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जमीन के अंदर 64 फीट है शिवलिंग

Asia’s biggest shivling : गोंडा स्थित एशिया के इस सबसे बड़े शिवलिंग की खास बात ये है कि ये 15 फीट ऊपर दिखता है और 64 फीट जमीन के नीचे है। इसलिए ये एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग होने के साथ-साथ यह शिव मंदिर वास्तुकला का भी सर्वोत्तम नमूना है। गोंडा का यह शिव मंदिर को पृथ्वीनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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भीम ने की थी शिवलिंग स्थापना

Asia’s biggest shivling : माना जाता है कि गोंडा के पृथ्‍वीनाथ मंदिर के इस शिवलिंग की स्‍थापना पांडुपुत्र भीम ने की थी। माना जाता है कि द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी. मान्‍यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। महाभारत के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान जब भीम ने बकासुर का वध किया था तो भीम पर ब्रह्महत्या का दोष लगा। तब भीम ने इस दोष से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी।

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7 खंडों का है शिवलिंग

Asia’s biggest shivling : ये सात खंडों का शिवलिंग है जो 15 फुट ऊपर दिखता है और 64 फिट जमीन के नीचे है। साथ ही यह मंदिर 5 हजार साल पुराना है। बताया जाता है कि भीम द्वारा स्थापित यह शिवलिंग धीरे-धीरे जमीन में समा गया। एक बार खरगूपुर के राजा मानसिंह की अनुमति से पृथ्वीनाथ सिंह के नाम के एक शख्स ने मकान निर्माण के लिए यहां पर खुदाई शुरू की तो पृथ्वीनाथ सिंह को सपना आया कि उस जमीन के नीचे सात खंडों का एक शिवलिंग दबा हुआ है। तब उन्‍होंने वहां खुदाई की और शिवलिंग मिला। फिर इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू हुई और तब से इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ गया।

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