नई दिल्ली। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है, मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। साथ ही मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पचंमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी 2023 गुरुवार को मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी के दिन लोग ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए, देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। स्कूलों में भी इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। बसंत पंचमी का दिन सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है, इसी कारण से बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिए उत्तम माना जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, बसंत पंचमी के दिन कुछ खास उपाय करने से विद्या, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
जिन छात्रों का मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता तो ऐसे में बसंत पचंमी के दिन से ही पूर्व या उत्तर पूर्वोत्तर दिशा में पढ़ाई करनी चाहिए। इस दिशा में बैठकर पढ़ाई करने से ध्यान एक जगह पर केंद्रित होता है। जिन छात्रों को पढ़ाई में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें बसंत पंचमी के दिन ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
छात्रों को बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले चंदन का टीका लगाना चाहिए और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए, इसके अलावा मां सरस्वती के सामने किताब और कलम जरूर रखनी चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन 2 से लेकर 10 साल तक की कन्याओं को पीले और मीठे चावल खिलाने चाहिए और उनकी पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन कुंवारी कन्याओं को पीले रंग के वस्त्र और आभूषण का दान करना भी काफी शुभ होता है।
वहीं शादीशुदा जिंदगी में प्यार बरकरार रखने के लिए बसंत पंचमी के दिन भगवती रति और कामदेव की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी को श्रीपंचमी, ज्ञान पंचमी और मधुमास के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। इस दिन संगीत और ज्ञान की देवी की पूजा की जाती है। इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ माना जाता है।
मां सरस्वती की पूजा के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ है। पूजा के समय देवी को केसर या पीले चंदन का तिलक अर्पण करने के बाद इसी चंदन को अपने माथे पर लगाएं। पूजा का उपाय करने पर साधक पर शीघ्र ही मां सरस्वती की कृपा बरसती है। मान्यता है कि किसी भी देवी या देवता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नैवेद्य चढ़ाएं फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
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