Bhai Dooj 2025: भाई दूज पर न हो कन्फ्यूजन, जानें 2025 में कब, कैसे और किस मुहूर्त में मनाएं यह पावन पर्व

भाई दूज दीपावली का अंतिम पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस वर्ष तिथि को लेकर भ्रम है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पर्व का महत्व जानना जरूरी है।

Bhai Dooj 2025: भाई दूज पर न हो कन्फ्यूजन, जानें 2025 में कब, कैसे और किस मुहूर्त में मनाएं यह पावन पर्व

(Bhai Dooj 2025, Image Credit: Meta AI)

Modified Date: October 21, 2025 / 02:51 pm IST
Published Date: October 21, 2025 2:50 pm IST
HIGHLIGHTS
  • भाई दूज 2025 की तारीख: 23 अक्टूबर (गुरुवार)
  • तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक
  • पर्व का उद्देश्य: भाई-बहन के अटूट प्रेम और दीर्घायु की कामना

Bhai Dooj 2025: दीपावली का पांच दिवसीय महापर्व भाई दूज के साथ अपने अंतिम चरण में पहुंचता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा आर विश्वास का प्रतीक है। इसे भातृ-द्वितीया या यम द्वितीया भी कहा जाता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष आध्यात्मिक महत्व होता है।

भाई दूज 2025 की सही तारीख और मुहूर्त

भाई दूज की तिथि को लेकर इस साल लोगों में थोड़ी भ्रम की स्थिति है, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार इसका सटीक तिथि तय किया गया है:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16 बजे।
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46 बजे।
  • भाई दूज पर्व की तिथि: 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)।
  • तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक।

इस दौरान बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।

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भाई दूज का पौराणिक कथा और महत्व

इस पर्व के पीछे एक प्राचीन कथा है। मान्यता के मुताबिक, यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने कार्तिक शुक्ल द्वितीया को आए थे। यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह पर्व यम द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है। यह भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत बनाता है।

भाई दूज की पूजा और तिलक विधि

  • शुभ मुहूर्त में चावल के आटे से चौक बनाएं।
  • भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बिठाएं।
  • भाई के माथे पर रोली या चंदन से तिलक लगाएं।
  • अक्षत (चावल) चढ़ाएं और दाहिने हाथ में कलावा बांधें।
  • घी का दीपक जलाकर आरती करें और मिठाई खिलाएं।
  • बहन भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें।
  • अंत में भाई बहन को उपहार दे और आशीर्वाद लेकर पैर छूएं।

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लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।