चैत्र नवरात्र की चतुर्थी, मां कुष्मांडा दूर करती हैं भक्तों की पीड़ा, देखें पूजा ​विधि, मंत्र एवं महत्व

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी, मां कुष्मांडा दूर करती हैं भक्तों की पीड़ा, देखें पूजा ​विधि, मंत्र एवं महत्व

चैत्र नवरात्र की चतुर्थी,  मां कुष्मांडा दूर करती हैं भक्तों की पीड़ा, देखें पूजा ​विधि, मंत्र एवं महत्व
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: March 28, 2020 3:16 am IST

धर्म : 28 मार्च 2020 दिन- शनिवार, आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है। चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, उनकी पूजा करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों, दुखों और विपदाए नष्ट होती हैं।

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मां कूष्मांडा को गुड़हल का फूल या लाल फूल बहुत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में गुड़हल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को अर्पित करने से मां कुष्मांडा जल्द प्रसन्न होती हैं। मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कूष्मांडा स्वरूप धारण किया था। आइए जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, पूजा मुहूर्त, महत्व आदि के बारे में।

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मां कुष्मांडा की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कुष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मंत्र

1. सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कुष्माण्डेति मनोस्तुते।।


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