असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, युग बीतने पर कम नहीं श्रीराम का प्रताप

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, युग बीतने पर कम नहीं श्रीराम का प्रताप

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, युग बीतने पर कम नहीं श्रीराम का प्रताप
Modified Date: November 29, 2022 / 08:52 pm IST
Published Date: October 25, 2020 2:13 am IST

धर्म। राम…हे राम…श्रीराम…जय राम…जय जय राम…पतित पावन राम…सीतापति राम…अहिल्या उद्धारक राम…प्रजापालक राम। राम सृष्टि हैं…राम दृष्टि हैं…राम धर्म हैं…राम कर्म हैं…राम मर्यादा हैं…राम आदर्श हैं….राम युग हैं…राम वेद हैं…राम उपनिषद हैं…राम चमत्कार हैं। राम ही परब्रम्ह हैं,राम ही त्रिदेव हैं। राम हैं तो जीव है…राम हैं तो जगत है। आत्मा का प्रकाश हैं राम। प्रेरणा की धारा हैं राम। सत्य के प्रतीक हैं राम। साहस के पर्याय हैं राम। अभय के प्रतिमूर्ति हैं राम।

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युग बीते पर राम नाम का प्रताप कम नहीं हुआ। जब भी हृदय को चोट पहुंचती है, जब भी दुख की लहरें आती हैं, जब भी विपत्तियों का पर्वत टूटता है, तो मुंह से अनायास ही निकल पड़ता है- हे राम। जब-जब होती है धर्म की हानि…जब जब पीड़ित होती है मानवता…राम जन्म लेते हैं…आसुरी शक्तियों का नाश करने के लिए।

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अंधकार ने फिर ललकारा है। दशानन फिर रहे हैं हुंकार। पाप के बोझ से फिर थरथरा रही है धरती। आरती की थाल रखिए तैयार…बंदनवार रखिए सजाकर…फिर…एक बार फिर….आर्यावर्त की गलियों में…निकलेगी सवारी….मन के आंगन में दीपक जलाकर रखिए…इस दशहरा आपके घर आएंगे दीनों के दाता…दुख के त्राता….हमारे…आपके…हम सबके…श्रीराम ।


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