Ekadashi 2023: सभी तरह के संकट हर लेता है एकादशी का व्रत, हर कार्य में मिलती है सफलता, नहीं देखना पड़ेगा हार का मुंह
Ekadashi 2023: हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा और व्रत का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। इस तरह के पूजन और व्रत करने से मनुष्य के जीवन के सभी
Rama Ekadashi 2023/Shri Hari Yoga
नई दिल्ली : Ekadashi 2023: हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा और व्रत का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। इस तरह के पूजन और व्रत करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। मान्यता है की विधि-विधान पूजा एवं व्रत करने से भगवान जीवन में शांति प्रदान करते हैं। यूं तो प्रत्येक मास में दो बार पड़ने वाली एकादशी का कुछ न कुछ महत्व है, किंतु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का व्रत किया जाए तो व्यक्ति विजय प्राप्त करता है। यह व्रत करने से व्यक्ति को हार का मुंह नहीं देखना पड़ता है। फाल्गुन मास का प्रारंभ हो चुका है। इस मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी 16 फरवरी को होगी।
एकादशी में होती है भगवान विष्णु की पूजा
Ekadashi 2023: एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है, तथा सभी कार्यों में विजय प्राप्त करता है। मृत्यु के पश्चात उसे देवलोक की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि फाल्गुन मास में कृष्ण एकादशी के दिन ही भगवान श्री राम लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र के किनारे पहुंचे थे। ऋषियों की सलाह पर उन्होंने लंका पर चढ़ाई करते समय विजय की कामना से यह व्रत किया था।
व्रत रखने से मिलेंगे ये फायदें
Ekadashi 2023: वैसे तो सभी लोगों को यह व्रत करना चाहिए, यदि ऐसा सम्भव न हो तो वह लोग अवश्य करें जो किसी प्रकार का कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं। रोगों से छुटकारा पाना चाहते हैं। प्रमोशन के लिए प्रयासरत हैं। कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। भूमि, मकान आदि खरीदना चाहते हैं. जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है, वह भी इस दिन से बृहस्पति का व्रत उठा सकते हैं।
पूजन विधि
Ekadashi 2023: एक मिट्टी के बर्तन को जल से भरकर स्थापित करिए, उसके पास पीपल, आम, बड़ तथा गूलर के पत्ते रखें, फिर एक बर्तन में जौ भरकर उसे कलश पर स्थापित करें। जौ के पात्र में लक्ष्मी नारायण की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन करें। पूजन के बात भजन-कीर्तन करते हुए रात भर जागरण करें और प्रातः काल जल का विसर्जन कर दें। ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर और भोजन करा के स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।

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