Nirjala Ekadashi Puja Time/ Image Credit: IBC24 File Photo
नई दिल्ली। Apara Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में तीज त्योहारों का विशेष महत्व है। ऐसे में हर महीने कई तरह के व्रत, अमावस्या आते हैं। जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। जिसे पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। बता दें कि, हर महीने एकादशी की तिथि आती है। ऐसे में इस साल 23 मई को अपरा एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी तिथि का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु के समर्पण और कृपा प्राप्त करने के सर्वोत्तम दिन के रूप में माना जाता है। इस दिन का व्रत रखने से न केवल व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है। तो चलिए जानते हैं इस व्रत को रखने के नियम क्या है।
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 मई को देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 23 मई को रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगा 24 मई को व्रत का पारण किया जाएगा।
अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। चंदन और फूलमाला चढ़ाएं। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। विधिपूर्वक मंत्रों का जप और विष्णु चालीसा का पाठ करें। अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। फल और मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं। भोग थाली में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें। धन और कपड़े समेत आदि चीजों का दान करें।
अपरा एकादशी के दिन मांस, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है।
अपरा एकदशी के दिन प्याज-लहसुन, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
अपरा एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित माना जाता है।
अपरा एकादशी व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
अपरा एकादशी के दिन व्रती को दिन में सोना नहीं चाहिए।
एकादशी के दिन गुस्से से बचना चाहिए और लड़ाई-झगड़े से दूर रहना चाहिए।
इस दिन अपशब्दों का प्रयोग करना या दूसरों की निंदा करना भी वर्जित है।
अपरा एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित होता है।
अपरा एकादशी के दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से भी बचना चाहिए।