Govardhan Puja will be done today, see auspicious time and method

Govardhan Puja 2022: देशभर में आज की जाएगी गोवर्धन पूजा, यहां देखें शुभ मुहूर्त और विधि

Govardhan Puja will be done today, see auspicious time and method : हर साल दीपावली के दूसरे दिन गोर्वधन पूजा की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : October 26, 2022/10:05 am IST

Govardhan Puja 2022: धर्म। हर साल दीपावली के दूसरे दिन गोर्वधन पूजा की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा। सूर्यग्रहण के चलते दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं की जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। जिसके कारण इस बार गोर्वधन पूजा 26 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। भगवान श्री कृष्ण द्वारा इंद्र देव को परास्त किए जाने के उपलक्ष्य में गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी भी जाना जाता है। इस दिन किसान विभिन्न प्रकार के व्यंजन और पारंपिक पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती हैं।

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कार्तिक मास और गोवर्धन पूजा -अन्नकूट

हर साल दीपावली के त्योहार का इंतजार आपको भी रहता ही होगा. पांच दिन चलने वाले दीपोत्सव का हर दिन एक नया पर्व होता है. धनतेरस के बाद नरक चौदस, दीपावली और उसका अगला दिन होता है गोवर्धन पूजा. दीपों का पर्व यूं तो भगवान राम की घर वापसी और माता लक्ष्मी के पूजन के साथ मनाया जाता है. पर, गोवर्धन पूजा वाले दिन भगवान कृष्ण की पूजा होती है साथ ही गाय के गोबर से गोवर्धन देव बनाकर उन्हें पूजने की परंपरा भी रही है. कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानि प्रतिपदा के दिन ये पर्व आता है.

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इस साल गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को होगी. सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है. बहुत से स्थानों पर इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा का जिक्र पुराणों में मिलता है. बात उस समय की है जब भगवान कृष्ण माता यशोदा के साथ ब्रज में रहते थे. माना जाता है कि उस वक्त अच्छी बारिश के लिए सभी लोग भगवान इंद्र का पूजन करते थे. एक वर्ष भगवान कृष्ण ने ठान लिया कि वो इंद्र का घमंड तोड़ कर रहेंगे और सभी से इंद्र के पूजन के बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए कहा. सबने कान्हा की बात मान तो ली पर डर सभी को इंद्र के कोप का डर भी था. वही हुआ भी नाराज इंद्र देव का गुस्सा तेज बारिश बन कर ब्रज पर बरसा.

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ब्रजवासियों की रक्षा के लिए कान्हैया ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और सभी लोगों ने इस गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली. जब तक इंद्र का क्रोध बरसता रहा भगवान मुस्कान के साथ पर्वत को अपनी उंगली पर थामे रहे और पूरा ब्रज वहीं पर शरण लेकर रहता रहा. इंद्र को अपनी गलती समझ में आ गई. उनका कोप शांत हुआ. माना जाता है उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक चला आ रहा है.

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गोवर्धन पूजा का महत्व और विधि

“गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से देव बनाए जाते हैं. इसके अलावा लोग अपने पशुधन को सजाते हैं और उनकी पूजा भी करते हैं. ये प्रकृति और इंसानों के बीच स्थापित प्रेम और सम्मान का पर्व भी माना जाता है. इस दिन पूजा के लिए किसान और पशुपालक खासतौर से तैयारी करते हैं. घर के आंगन या खेत में गाय के गोबर से देव बनाए जाते हैं. और उन्हें भोग भी लगाया जाता है. पूजन विधि तकरीबन दूसरी पूजाओं की तरह ही है जिसमें सुबह स्नान करके, भगवान की प्रतिमा बनाकर उस पर भोग चढ़ाया जाता है. गोवर्धन देव के अलावा भगवान कृष्ण का दूध से स्नान करवाकर उन्हें भी पूजा जाता है”

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