Guru Gobind Singh Jayanti 2025: 27 या 28 दिसंबर, कब मनाई जायेगी गुरु गोबिंद सिंह जयंती? जान लें, ये 5 ‘ककार’ क्यों हैं सिक्खों की पहचान!
गुरु गोबिंद सिंह जयंती, सिक्ख धर्म के दसवें तथा अंतिम मानव गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाई जाती है। परन्तु कई लोगों के मन में तिथि को लेकर दुविधा है कि 27 या 28 दिसंबर कब मनाई जाएगी गुरु गोबिंद सिंह जयंती? आइये जानते हैं..
Guru Gobind Singh Jayanti 2025/Image Source: IBC24
- 27 या 28 दिसंबर, कब है गुरु गोबिंद सिंह जयंती?
- गुरु गोबिंद सिंह जी की वाणी और उपदेश!
Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोबिंद सिंह जयंती, सिख समुदाय का एक प्रमुख और पवित्र त्यौहार है जिसे “प्रकाश पर्व” और “प्रकाश उत्सव” के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व, सिख धर्म के दसवें तथा अंतिम मानव गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन की ख़ुशी में मनाया जाता है। वर्ष 2025 में, 27 दिसंबर के दिन सिख धर्म के लोगों द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) मनाई जाएगी। इस पावन अवसर पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ, अरदास, कीर्तन तथा लंगर का आयोजन किया जाता है।
Guru Gobind Singh Jayanti 2025: खालसा पंथ की स्थापना!
श्री गुरु गोबिंद सिंह साहेब, सिख धर्म के दसवें तथा अंतिम मानव गुरु होने के साथ एक महान योद्धा, मार्गदर्शक, कवि तथा समाज सुधारक थे। जिन्होंने, सिख धर्म को मज़बूती के साथ एक नई दिशा दी तथा अत्याचार/अन्याय के खिलाफ संघर्ष की मिसाल कायम की। गुरु जी जन्म सन 1666 ई. में पटना साहेब (बिहार) में हुआ था। मात्र 9 वर्ष की आयु में वह गुरु बने और सन 1699 ई. में बैसाखी के दिन “खालसा पंथ” की स्थापना की और “पंच ककार” की परंपरा शुरू की, यानी खालसा सिखों के लिए “क” अक्षर से शुरू होने वाली 5 वस्तुएं केश (बाल), कृपाण (तलवार), कंघा (कंघी), कड़ा (कंगन) और कच्छा (विशेष वस्त्र) अनिवार्य किए गए। यह सिक्खों की पहचान, अनुशासन और आस्था का प्रतीक हैं।
बैसाखी के दिन, आनंदपुर साहेब में गुरु गोबिंद सिंह जी ने “खालसा पंथ” की नींव रखी। फिर उन्होंने “पंज प्यारे” चुने और अमृत छकाकर सिख पुरुषों को “सिंह” और सिख महिलाओं को “कौर” उपनाम दिए, जिससे जाती-पाती का भेदभाव समाप्त हुआ और उन्होंने समानता का अनुपम सन्देश दिया। उन्होंने अत्याचार व पापों को ख़त्म करने तथा धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ कई युद्ध लड़े, जिसमें उन्होंने “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह” का नारा देते हुए अपने समस्त परिवार का बलिदान दिया, लेकिन धर्म की रक्षा के लिए किसी के सामने अपने घुटने नहीं टेके, जिसके लिए उन्हें “संत सिपाही” और “सरबंसदानी” भी कहा जाता है। गुरु जी के उपदेश आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं। आइये आपको बताएं, गुरु गोबिंद सिंह जी के द्वारा उनके जीवनकाल और शिक्षाओं से जुड़े मुख्य उपदेश/सिद्धांत, जो उनकी महानता को सिद्ध करते हैं..
Guru Gobind Singh Jayanti 2025: उपदेश तथा अनमोल वचन!
- धर्म का मार्ग: गुरु जी के जीवन का प्रथम उपदेश था कि “धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव जीत होती है”।
- निर्भयता: गुरु जी ने अपनी वाणी में उपदेश देते हुए कहा था “भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन”, जिसका अर्थ है “मनुष्य को कभी भी किसी को डराना नहीं चाहिए और न ही किसी से डरना चाहिए”!
- निःस्वार्थ सेवा: मानव का मानव से प्रेम करना की सच्ची ईश्वर भक्ति है, इसलिए गरीबों , असहाय और जरूरतमंद लोगों की निःस्वार्थ सेवा करना की मानव धर्म है।
- अहंकार त्यागना: गुरु जी का मानना था कि जब आप अपने अहंकार को त्याग देंगे तभी आपको वास्तविक शांति मिलेगी।
- समानता और न्याय का सन्देश: उन्होंने अपनी वाणी में उपदेश दिया था “मानस के जाट सबै एकै पहचानबो”, जिसका अर्थ है “सभी मनुष्य एक सामान हैं”। गुरु जी ने सिखाया कि अन्याय/अत्याचारों के खिलाफ लड़ना ही धर्म है।
गुरु जी ने कहा था “सवा लाख से एक लड़ाऊँ, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊं”, चिड़िया ते मैं बाज लडावां, गिदड़ां ते मैं शेर बनावां” जिसका अर्थ है जब मेरा एक-एक योद्धा, सवा लाख दुश्मनों से लड़ सके और मैं एक गौरैया (चिड़िया) से बाज (बाज़) छुड़वा सकूँ, तभी मैं गोबिंद सिंह कहलाने योग्य हूँ।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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