Natraja Apasmara Purusha: भगवान नटराज की मूर्ति में उन्होंने पैरो तले किसे दबाया है? जान लीजिये उसका नाम और नटराज से जुड़ी पौराणिक कथा!
भगवान शिव के कई अवतार हैं उन्हीं में से एक है "नटराज" रूप। "नटराज", भारतीय शास्त्रीय नृत्य का आधार है जो कि चिदंबरम जैसे मंदिरों में जीवंत पूजा का हिस्सा है। किन्तु सवाल यह है कि भगवान नटराज ने अपने पैरो तले किसे दबाया है? आइये जानें इसका रहस्य..
Natraja Apasmara Purusha/Image Source: IBC24
- भगवान नटराज के पैरो के नीचे कौन दबा है?
- हिन्दू पौराणिक कथाओं का अनोखा रहस्य!
Natraja Apasmara Purusha: हिन्दू धर्म में भगवान शिव का नटराज रूप भारतीय कलाओं में सबसे प्रतिष्ठित, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति में से एक है। “नटराज”, जिसका अर्थ है “नृत्य का राजा”, भगवान शिव का वह रूप, जिसमें वह आनंद नृत्य कर रहे हैं। यह रूप न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि जीवन के चक्रीय स्वरूप और आध्यात्मिक जागृति का भी प्रतीक है। भगवान नटराज की मूर्ति देखकर हर किसी के मन में सबसे पहले यह सवाल उठता है कि भगवान नटराज के पैरो तले कौन दबा है? तो आइये, आपको बताएं उसका नाम और इसका रहस्य..
Natraja Apasmara Purusha: कौन है जो भगवान नटराज के पैरो के नीचे दबा है?
नटराज के पैरो तले जो दबा हुआ है वह है “अपस्मार पुरुष”, यह एक बौना राक्षस है जो कि अज्ञान, अंधकार, अविद्या यहाँ तक की मिर्गी (Epilepsi) का प्रतीक है भगवान शिव नटराज रूप में अपस्मार पर नृत्य कर के अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक प्रस्तुत करते हैं परन्तु उसे मारते नहीं हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, अपस्मार को अमरता का वरदान प्राप्त था, इसलिए भगवान शिव भी उसे नहीं मार सकते थे। अपस्मार, वह नकारात्मक अवस्था है जो लोगों को सत्य और ज्ञान से दूर रखता है इसलिए, भगवान नटराज उसे अपने पैरो तले दबाकर रखते हैं जो कि यह सन्देश देता है कि अज्ञान को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि ज्ञान और साधना से लगातार दबाया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, अपस्मार केवल एक राक्षस ही नहीं, बल्कि मनुष्यों के बीच की बुराइयों और कमज़ोरियों का प्रतीक हैं। यदि अपस्मार मुक्त हो जाए, तो मानवता अज्ञान में डूब जाएगी और यदि अपस्मार मर जाए, तो विकास रुक जायेगा।
Natraja Apasmara Purusha: भगवान नटराज से क्या है इसका संबंध?
नटराज, भगवान शिव का नृत्य रूप है जो “आनंद” तांडव नृत्य करता है लेकिन आप सोच रहे होंगे कि भगवान नटराज से इसका क्या संबंध है? तो आपको बता दें कि अपस्मार को पैरो के नीचे दबाकर, उसके ऊपर खड़े होकर नृत्य करना यह दर्शाता है कि भगवान शिव का नृत्य ब्रह्मांड की उत्पत्ति, संरक्षण तथा विनाश को दर्शाता है, जबकि अपस्मार को अपने पैरो तले दबाना, अज्ञान पर ज्ञान की विजय का संकेत है।
Natraja Apasmara Purusha: नटराज की मुद्रा (आनंद तांडव) के हर तत्व में छुपा है गहरा रहस्य!
- भगवान नटराज के ऊपरी दाहिने हाथ में है “डमरू”, जो कि सृष्टि की पहली ध्वनि “ॐ का प्रतीक” है और जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति को दर्शाता है।
- ऊपरी बाए हाथ में “अग्नि” विनाश का प्रतीक है जो पुराने को नष्ट कर नए मार्ग प्रशस्त करती है।
- निचला दाहिना हाथ, अभय मुद्रा में है रक्षा और निर्भयता का संकेत देता है।
- उठे हुए पैर की ओर इशारा करते हुए निचला बायां हाथ, मोक्ष का प्रतीक है।
- उठा हुआ पैर की और इशारा करता हुआ “गज हस्त” मुक्ति और अनुग्रह को दर्शाता है।
- अपस्मार पर खड़ा पैर, अज्ञान पर विजय का प्रतीक है।
- भगवान नटराज के चारों ओर अग्नि का घेरा ब्रह्मांड की निरंतर गति, समय के चक्र और ऊर्जा का प्रतीक है। जो हमें सिखाता है कि जब तक मनुष्य अपने अंदर के अभिमान, अहंकार, अज्ञान को नहीं दबाता तब तक वह आत्मिक शांति का अनुभव नहीं कर सकता।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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