Hanuman Vs Shivji ki ladai : हनुमान जी ने शिव जी को अपनी पूँछ में क्यों लपेटा? क्या हुआ जब भगवान शिव का अपने ही अवतार से हुआ सामना? | Hanuman Vs Shivji ki ladai

Hanuman Vs Shivji ki ladai : हनुमान जी ने शिव जी को अपनी पूँछ में क्यों लपेटा? क्या हुआ जब भगवान शिव का अपने ही अवतार से हुआ सामना?

Why did Hanuman ji wrap Shiva in his tail? What happened when Lord Shiva faced his own avatar?

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Modified Date: April 12, 2025 / 04:49 PM IST
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Published Date: April 12, 2025 4:40 pm IST

Hanuman Vs Shivji ki ladai : हनुमान जी को शिव जी का अंश माना जाता है बड़ी ही विचित्र घटना थी जब भगवान् शिव जी का सामना अपने ही अवतार से हुआ.. उस समय हनुमान जी और भगवान शिव के बीच भयंकर युद्ध हुआ। यह युद्ध तब हुआ था जब शिव जी राजा वीरमणि के राज्य की रक्षा के लिए युद्ध कर रहे थे, और हनुमान जी ने उनके इस कार्य में हस्तक्षेप किया था। इस युद्ध में, हनुमान जी ने शिव जी के रथ को चूर-चूर कर दिया और शिव जी को अपनी पूंछ में लपेट लिया। Padm Purana के अनुसार, हनुमान जी ने शिव जी को चुनौती दी थी क्योंकि शिव जी ने राजा वीरमणि को उसके राज्य की रक्षा करने का वचन दिया था।

Hanuman Vs Shivji ki ladai

जैसा कि हम जानते हैं कि बजरंगबली भगवान शिव के ही अवतार माने गए हैं और इन्हें एकादश रुद्र भी कहते है। इन्हें भगवान राम के परम भक्त और उनके प्रिय के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन एक समय ऐसा भी आया था कि जब महादेव और हनुमानजी आमने सामने युद्ध के लिए आए गए। इस दौरान बजरंगबली ने अपना अद्भुत पराक्रम दिखाया था। उन्होंने शिवजी को अपनी पूंछ में लपेट लिया था, जिसे देखकर नंदी भी हैरान हो गए। आइए विस्तार से जानें कि इस महायुद्ध में जब बजरंगबली ने शिवजी को पूंछ में लपेटा तो क्या हुआ और यह घमासान कैसे शुरू हुआ।

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भगवान शिव के परम भक्त राजा वीरमणि और उनके पुत्रों का एक बार भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न की सेना के साथ बहुत बड़ा युद्ध हुआ था। यह युद्ध तब हुआ था जब शत्रुघ्नजी भगवान राम के द्वारा छोडे़ गए अश्वमेध यज्ञ की रक्षा के लिए चल रहे थे। ऐसे में भगवान शिव अपने भक्त की रक्षा करने के लिए अपने गणों के साथ रण भूमि में पहुंचे थे। इस युद्ध के दौरान जब राजकुमार पुष्कल मारे गए और शत्रुघ्न मूर्छित होकर गिर गए। तब बजरंगबली ने अद्भुत पराक्रम दिखाया था। हनुमान जी ने शिव जी से पूछा कि वे राम भक्त हैं तो फिर उनसे युद्ध क्यों कर रहे हैं। शिव जी ने उत्तर दिया कि उन्होंने राजा वीरमणि से राज्य की रक्षा का वचन दिया था। उन्होंने शिवजी के साथ युद्ध किया और घोड़ों व शिवजी के रथ को चूर चूर कर दिया। इसके बाद, शिवजी ने अपना त्रिशूल बजरंगबली पर चलाया, जिसे उन्होंने पकड़कर तोड़ दिया। भगवान शिव ने नंदी पर सवार होकर जब युद्ध करना शुरू किया तो हनुमानजी ने शाल वृक्ष का प्रहार करके शिवजी को व्याकुल कर दिया। कई प्रकार के प्रहार करके बजरंगबली ने शिवजी को आघात पहुंचाया और उन्हें अपनी पूंछ में लपेट लिया।

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शिवजी को पूंछ में लपेटा देखकर नन्दीजी आश्चर्य में आ गए और शिवजी भी घबरा गए। अंत में, जब राम प्रकट हुए, तो उन्होंने हनुमान जी को बताया कि वे शिव और राम दोनों हैं, और इस प्रकार हनुमान जी ने युद्ध को समाप्त कर दिया। उसी समय भगवान शिव बजरंगबली के युद्ध से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि श्री रघुनाथजी के सेवक तुम धन्य हो। आज तुम्हारा युद्ध देखकर मुझे बहुत संतोष हुआ है। इसके बाद, शिवजी ने हनुमानजी को एक वर मांगने को कहा। इसके जवाब में बजरंगबली ने कहा कि रघुनाथजी की कृपा से मेरे पास सब कुछ है। लेकिन आपकी प्रसन्नता के लिए मैं यह मांगता हूं कि जब तक मैं द्रोण पर्वत पर जाकर औषधि लेकर वापस न आ जाऊं तब तक आप अपने गणों के साथ-साथ मेरे मरे हुए वीरों के शरीर की भी रक्षा करें। इस मांग को भगवान शिव ने तुरंत स्वीकार कर लिया, जिसके बाद हनुमान जी तुरंत संजीवनी बूटी ले आए थे। और फिर से युद्ध में मारे गए योद्धाओं को जीवित कर दिया था।

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