धर्म । इंदौर से 20 किलोमीटर दूर स्थित कजलीगढ़ । यहां छिपे हैं कुदरत के कई राज़, रहस्यों की पोटली थामे यहां सदियों से खड़ा है कजलीगढ़। हरे दरख्त, सतरंगी नज़ारे….ये सब हाथ बांधकर खड़े हैं सैलानियों के स्वागत के लिए । कजलीगढ़ की ये ऐतिहासिक धरोहर भी बेताब है आपके इस्तेकबाल करने को, यहां का सुनहरा अतीत आपको बुला रहा है, पुकार रहा है,.ताकि आपको सुना सके, अपनी गौरवगाथा।
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कजलीगढ़ की वादियों के बीच एक प्राचीन शिवमंदिर है, जिसे गौरेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यहां भोलेनाथ अपने परिवार के साथ विराजित हैं। गुफा के अंदर मौजूद प्राचीन शिवलिंग को छोटा अमरनाथ भी कहा जाता है। मान्यता है कि ये शिवलिंग जमीन से प्रकट हुआ है।
कजलीगढ़ की हरी-भरी वादियां….पहाड़ों के बीच से बहता झरना… और रहस्यमयी गुफाएं…ऐसा लगता है…जैसे प्रकृति ने यहां अपना आशियाना बसाया है । कुदरत के इसी खूबसूरत नज़ारे के बीच मौजूद है शिवजी का एक विलक्षण धाम है। पहाड़ों से घिरी इस गुफा में भोलेनाथ अपने पूरे परिवार के साथ विराजित हैं। पहली नज़र में देखने पर इस शिवलिंग में बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ धाम की झलक देखने को मिलती है। इसलिए गोरेश्वर महादेव का ये मंदिर छोटा अमरनाथ के नाम से भी मशहूर है । महादेव के इस रूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां पहुंचते हैं । शिवरात्रि के मौके पर यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है । मान्यता है कि यहां शिव के इस साकार रूप के दर्शन से मनचाहा फल मिलता है।
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गुफा में मौजूद इस शिवलिंग से जुड़ी एक और दिलचस्प बात ये है कि पिछले 20 सालों में इसका आकार लगातार बढ़ता गया है। मंदिर के पुजारी इस शिवलिंग की खोज से जुड़ी एक कहानी सुनाते हैं। उनके मुताबिक सालों पहले एक युवक कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने के लिए इस गुफा के ऊपर चढ़ा था। लेकिन तभी नीचे से आई एक आवाज़ को सुनकर उसने खुदकुशी का विचार छोड़ दिया और उस दिव्य वाणी के कहे अनुसार काम करने लगा जिसके बाद उसकी सारी परेशानी दूर हो गई। कुछ दिनों बाद उसी युवक को स्वप्न में फिर वो दिव्य आवाज़ सुनाई पड़ी, उस आवाज़ ने खुद के गुफा में मौजूद होने की बाद हुई । जिसके बाद यहां लोगों ने खोजबीन की .जिसके बाद उन्हें शिवलिंग के दर्शन हुए ।
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इस शिव धाम का इतिहास करीब साढ़े तीन हजार साल पुराना है। बताया जाता है कि भगवान शंकर को जब पता चला कि शनि देव उन पर दृष्टि डालने वाले हैं। तब उन्होंने परिवार के साथ आकर इसी गुफा में शरण लीऔर यहां करीब 12 साल तक निवास किया था। इसके बाद से ही इसे सिद्ध स्थान का दर्जा हासिल है । शिवजी से जुड़ी तमाम कहानियों पर यहां के लोगों का अटूट विश्वास है ।
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