नई दिल्लीः 7 अक्टूबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि अब अंतिम चरण है। आज पूरे देश में धुमधाम दुर्गा अष्टमी मनाई जा रही है। वैसे नवरात्रि के सभी दिनों में कन्या पूजन किया जा सकता है। लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशिष्ट महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन या कन्या खिलाने के बिना व्रत का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता है।
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लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, 2 से 10 साल की उम्र की 9 लड़कियों को भोज के लिए बुलाया जाता है क्योंकि ये संख्या मां दुर्गा के 9 अवतारों का प्रतिनिधित्व करती है। कहा जाता है कि कन्या भोज के लिए आदर्श अंक नौ है। वैसे लोग अपनी आस्था के अनुसार लड़कियों को कम और ज्यादा खिला सकते हैं।
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नवरात्रि में कन्या पूजन (Kanya Pujan in Navratri) के समय रखें इन बातों ध्यान
-कन्या पूजन वाले स्थान की साफ-सफाई अच्छी तरह से कर लेनी चाहिए क्योंकि मां दुर्गा को सफाई बेहद प्रिय है।
-कन्याओं को भोजन कराते समय साथ में एक बालक को जरूर बैठाएं। कन्या पूजन के साथ इनका भी पूजन जरूर करें। बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है। देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है।
-कन्या पूजन में उन्हीं कन्याओं को आमंत्रित करें जिनकी उम्र केवल 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष के बीच में हो।
-कन्या पूजन के लिए पूजा पर बैठाने के पूवे व्रती को स्वयं उनका पैर दूध और जल से धोना चाहिए।
-कन्या पूजन में उनको खीर, पूड़ी, हलवा, चना, नारियल, दही, जलेबी जैसी चीजों का भोग लगाना उत्तम माना जाता है।
-भोजन के बाद कन्याओं की विदाई करते समय यथाशक्ति दक्षिणा दें और उनका पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लें।
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