निर्जला एकादशी कब है? इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने मात्र से पूरी होती है हर मुराद, जानिए क्या है पूजन विधि
निर्जला एकादशी कब है? इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने मात्र से पूरी होती है हर मुराद, जानिए क्या है पूजन विधि! Nirjala Ekadashi Vrat Kab Hai?
रायपुर: Nirjala Ekadashi Vrat Kab Hai? निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह की शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है। एकादशी का व्रत रखने वाले दशमी के सूर्यास्त से भोजन नहीं करते। एकादशी के दिन ब्रम्हबेला में भगवान कृष्ण की पुष्प, जल, धूप, अक्षत से पूजा की जाती है। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगता है। यह ब्रम्हा, विष्णु, महेश त्रिदेवों का संयुक्त अंश माना जाता है।
Nirjala Ekadashi Vrat Kab Hai? यह अंश अच्युत के रूप में प्रकट हुआ था। यह सफलता देने वाला व्रत माना जाता है। एकादशी के व्रत में कोई भी अनाज, मसाले का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निर्जला व्रत करना चाहिए। एकादशी के व्रत के उपरांत द्वादशी को स्नान तथा पूजन के उपरांत एक व्यक्ति का पूर्ण आहार के बराबर खाद्य सामग्री का दान करना चाहिए। उसके उपरांत अपने व्रत का पारण करना चाहिए। इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान को चढ़ाये गए फल व्यक्ति के जीवन में सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाले होते हैं।
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निर्जला एकादशी पूजा सामग्री
- भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पूजा की चौकी, पीला कपड़ा
- पीले फूल, पीले वस्त्र, फल (केला, आम, ऋतुफल), कलश, आम के पत्ते
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), तुलसी दल, केसर, इत्र, इलायची
- पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पानी वाली नारियल, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा
- कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, आंवला, मिठाई, व्रत कथा पुस्तक, मौली
- दान के लिए- मिट्टी का कलश, सत्तू, फल, तिल, छाता, जूते-चप्पल
निर्जला एकादशी पूजा विधि
निर्जला एकादशी की पूजा तिल, गंगाजल, तुलसी पत्र, श्रीफल बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा के साथ मां लक्ष्मी और तुलसी की उपासना भी जरुर करें। मान्यता है तुलसी पूजा के बिना एकादशी का व्रत-पूजन अधूरा रहता है। इस दिन विष्णु जी का जल में तिल मिलाकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप हुए विष्णु जी का अभिषेक करें। समस्त पूजन सामग्री लक्ष्मी-नारायण को अर्पित करें। मिठाई में तुलसी दल डालकर विष्णु जी को चढ़ाएं। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान-पुण्य करें। गरीबों को गर्मी से राहत पाने की चीजों का दान करें। शाम को तुलसी में घी का दीपक लगाकर उसमें काला या सफेद तिल डालें। मान्यता है इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न रहती हैं और साधक को धन-धान्य से परिपूर्ण रहने का आशीर्वाद देती है।
निर्जला एकादशी 2023 मुहूर्त
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि शुरू – 30 मई 2023, दोपहर 01.08
- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 31 मई 2023, दोपहर 01.46
- लाभ (उन्नति) – सुबह 05.24 – सुबह 07.08
- अमतृ (सर्वोत्तम) – सुबह 07.08 – सुबह 08.51
- शुभ (उत्तम) – सुबह 10.35 – दोपहर 12.19
- व्रत पारण समय – सुबह 05.23 – सुबह 08.09 (1 जून 2023)

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