Santan Prapti ke Jyotish Upay
शादी के कुछ सालों बाड संतान ही एक ऐसी जड़ होती है जो पति-पत्नी को बांधकर रखती है। ऐसे में अगर लाख कोशिशो के बाद भी आपको संतान का सुख नहीं निल पा रहा है तो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन कथा तरूर पढ़े। बता दें कि इस साल पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी रविवार को मनाई जाएगी। इस व्रत को विधि पूर्वक रखने से संतानहीन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही, जिनकी भी संतान होती है उन्हें आरोग्यता, दीर्घायु और कीर्ति मिलती है।
पुत्रदा एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा (Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha)
अगर आप भी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने जा रही है तो इस व्रत का पूरे नियम से पालन करें और नीचे दिए गए व्रत कथा जरूर पढ़े..
Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha: सुकेतु नाम के गृहस्थ की पत्नी का नाम शैव्या थी। लेकिन, उनकी कोई संतान नहीं थी। दोनों पति पत्नी संतान के लिए बहुत परेशान रहते थे। एक बार अत्यधिक निराश हो कर सुकेतु ने आत्महत्या करने का निर्णय ले लिया और पत्नी को घर में अकेला छोड़ कर जंगल की ओर निकल गया। जंगल में एक घने पेड़ के नीचे बैठकर वह अपने को कोसने लगा कि संसार में सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्ति है। वह एकांत में बैठा विचार कर रहा था तभी उसे किसी ऋषि के मुख से वेदमंत्रों की उच्चारण सुनाई पड़ी। इन मंत्रों को सुन कर वह उनकी ओर आकर्षित हुआ और आवाज की ओर चल पड़ा।
कुछ दूरी तक चलने के बाद उसने देखा कि बहुत से ब्राह्मण कमल के फूलों से भरे एक तालाब के तट पर बैठकर वेदों का पाठ कर रहे हैं। तभी सुकेतु ने वहां पहुंचकर ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम किया और वेद पाठ को सुनने के लिए एक स्थान पर शांति के साथ बैठ गया। वेदपाठ पूरा होने पर जब वेदपाठियों ने उसकी ओर देखा तो सुकेतु ने पूरी बात बताई। तब ब्राह्मण विद्वानों ने उसकी व्यथा सुनकर पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की विधि बताई, जिसके बाद सुकेतु ने आत्महत्या का इरादा त्याग दिया और घर आकर पत्नी के साथ विधि पूर्वक व्रत किया और फलस्वरूप पुत्र की प्राप्ति हुई।
संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय