Pushkar dham Mandir: पुष्कर में ही क्यों स्थित हैं जगत पिता ब्रह्माजी का मंदिर? क्यों इन 5 दिनों में पुष्कर स्नान होता है महाफलदायी?

चतुर्थ धाम (चार धाम) की कठिन यात्रा के बाद पुष्कर स्नान न केवल शारीरिक थकान मिटाता है, बल्कि आत्मा को शांति देता है। मान्यता है कि चार धाम की यात्रा के बाद पुष्कर सरोवर में स्नान करने से यात्रा का फल पूर्ण होता है। आईये आपको बताते हैं कि आखिर पुष्कर में ही क्यों हैं ब्रह्मा जी का मंदिर?

Pushkar dham Mandir: पुष्कर में ही क्यों स्थित हैं जगत पिता ब्रह्माजी का मंदिर? क्यों इन 5 दिनों में पुष्कर स्नान होता है महाफलदायी?

Pushkar dham Mandir

Modified Date: November 4, 2025 / 04:48 pm IST
Published Date: November 4, 2025 3:54 pm IST
HIGHLIGHTS
  • पुष्कर में "विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर जिसे औरंगजेब भी नहीं तोड़ सका!"

Pushkar dham Mandir: ब्रह्मा मन्दिर (Brahma Mandir), भारत देश का एकमात्र हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से बना है। कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं। आईये आपको बताते हैं आखिर पुष्कर में ही क्यों है एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर?

Pushkar dham Mandir: इकलौते पुष्कर में ही क्यों हैं ब्रह्माजी का मंदिर ?

ब्रह्मा की दो पत्नियाँ थीं: सावित्री (ज्ञान और वाणी की देवी) तथा गायत्री (वेदमाता)। एक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने एक यज्ञ के दौरान शुभ मुहूर्त में अपनी पत्नी सावित्री के आने का इंतजार किए बिना ब्रह्मा जी ने गायत्री के साथ विराजमान होकर यज्ञ संपन्न कर लिया। इस पर क्रोधित होकर सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया। श्राप के अनुसार, ब्रह्मा जी की पूजा केवल पुष्कर में ही होगी और पूरे विश्व में उनका कोई और मंदिर नहीं बनेगा, क्योंकि सावित्री ने कहा था कि जिस स्थान पर उन्होंने यज्ञ किया था, वहीं उनका मंदिर होगा। तत्पश्चात सावित्री का गुस्सा शांत होने के बाद पुष्कर के पास की पहाड़ियों पर जाकर वो तपस्या करने लगीं, जहां आज भी उनका मंदिर स्थित है।

ब्रह्मा जी ने वज्रनाश नामक राक्षस को मारने के बाद पुष्कर में यज्ञ किया था। ऐसा माना जाता है कि यज्ञ के दौरान ब्रह्मा जी के हाथों से कमल के फूल गिरने से तीन झीलें बनीं, और इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा।

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पुष्कर झील के आसपास लगभग 500 हिन्दू मन्दिर स्थित है और ये झील राजस्थान के अजमेर नगर से 11 किमी उत्तर में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्मा ने करवाया था। इसमें 52 स्नान घाट हैं। इन घाटों में वराह, ब्रह्म व गव घाट महत्त्वपूर्ण हैं।
प्राचीनकाल से लोग यहाँ पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में इकट्ठे होकर ब्रह्मा की पूजा एवं उपासना करते हैं। पुष्कर में आने वाले लोग त्वचा रोगों से मुक्ति पाने तथा स्वयं को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं।

Pushkar dham Mandir: कैसे पाएं पुष्कर यात्रा का सम्पूर्ण फल?

पुष्कर हिंदू धर्म में ‘तीर्थराज’ (तीर्थों का राजा) के रूप में जाना जाता है। यह पंच सरोवरों (पुष्कर, मानसरोवर, बिंदु सरोवर, महासर और कूर्म सरोवर) में से एक है, जहां स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यहां ब्रह्मा मंदिर, विश्व का एकमात्र प्रमुख ब्रह्मा मंदिर है, जो सृष्टिकर्ता की पूजा का प्रतीक है।
पुष्कर स्नान का विशेष महत्व कार्तिक मास (देव उठानी एकादशी से पूर्णिमा तक) में है अर्थात भगवान श्री विष्णु के योग निद्रा से जागते ही कार्तिक पूर्णिमा तक के 5 दिन होते हैं अत्यंत फलदायी, जब लाखों तीर्थयात्री यहां आते हैं और डुबकी लगते हैं यह स्नान त्वचा रोगों से मुक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है। इस दौरान यज्ञ पर्वत पर स्थित अगस्त्य कुंड में स्नान करने पर ही पुष्कर यात्रा के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।

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