Ravi Pradosh Vrat 2025: कल रखा जाएगा रवि प्रदोष का व्रत, इस विधि से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, मिलेगा मनचाहा आशीर्वाद

Ravi Pradosh Vrat 2025: कल रखा जाएगा रवि प्रदोष का व्रत, इस विधि से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, मिलेगा मनचाहा आशीर्वाद

Ravi Pradosh Vrat 2025: कल रखा जाएगा रवि प्रदोष का व्रत, इस विधि से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, मिलेगा मनचाहा आशीर्वाद

Sawan Pradosh Vrat 2025/ Image Credit: Freepik

Modified Date: June 8, 2025 / 01:27 pm IST
Published Date: June 7, 2025 11:38 am IST
HIGHLIGHTS
  • कल 8 जून को रखा जाएगा रवि प्रदोष व्रत।
  • इस भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा सूर्यदेव की भी पूजा की जाती है।
  • इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में हर महीने, हर दिन कई तरह के व्रत-त्योहार, एकादशी और नवमी मनाई जाती है। इन सबका अपना अलग महत्व होता है। ऐसे में ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत कल 8 जून को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ ही सूर्य देव की भी पूजा का विधान है। इसके साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि, इस व्रत की पूजा विधि औ मुहूर्त क्या है।

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शुभ मुहूर्त

बता दें कि, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून दिन रविवार को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी जो कि, अगले दिन 9 जून दिन सोमवार को सुबह 09 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रदोष व्रत रविवार 8 जून को रखा जाएगा।

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और इसके बाद मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए और उन्हें बेलपत्र, अक्षत, चंदन इत्यादि अर्पित करना चाहिए। इस दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप निरंतर करते रहना चाहिए। इसके बाद प्रदोष काल में घर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक में शक्कर, दूध, दही, पंचामृत व घी से भगवान शिव का अभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। इसके पश्चात गंध, पुष्प, धूप-दीप, बेलपत्र, भांग-धतूरा, अक्षत इत्यादि भगवान शिव को अर्पित करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

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शिव मंत्र

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।


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