Saawan Shiv Puja : शिवलिंग के सामने पूजा के पश्चात् क्यों बजाते है ३ बार ताली? क्या है इसका महत्व..? जाने इसके पीछे का रहस्य..
Why do we clap three times in front of Shivling after worship? What is its importance? Know the secret behind it
Saawan Shiv Puja
Saawan Shiv Puja : शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाना धार्मिक परंपरा है, जिसका गहरा महत्त्व है। अक्सर जब मंदिरों में जातें हैं तो देखते हैं कि लोग पूजा के पश्चात् ख़ास कर शिवलिंग के सामने भक्त ३ बार ताली बजाते हैं मस्तिष्क में अक्सर ये सवाल उठता है कि ऐसा क्यों? आखिर ३ बार ताली बजने का क्या है महत्त्व? तो आईये जानतें हैं कि आखिर शिवलिंग के समक्ष क्यों बजायी जाती है “तीन बार ताली” ?
Saawan Shiv Puja
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ताली बजाने की परंपरा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आह्वान से जुड़ी हुई है। जब भक्त शिव मंदिर में प्रवेश करते हैं और तीन बार ताली बजाते हैं, तो यह तीनों लोकों (भूलोक, पाताल और स्वर्गलोक) तथा तीनों प्रमुख देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) को नमन करने का प्रतीक माना जाता है। शिव मंदिर में ताली बजाना एक धार्मिक प्रथा है जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है। यह ध्यान, प्रार्थना और आशीर्वाद के लिए एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
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मंदिर में जाकर शिवलिंग के आगे पहली ताली बजाने का मतलब है भगवान शिव के सामने अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाना। वहीं दूसरी ताली के दौरान अपनी मनोकामना मांगी जाती है। वहीं तीसरी ताली का मतलब होता है कि भगवान शिव के आगे खुद को सौंप देना होता है और भूलचूक अथवा जाने-अनजाने हुई गलती को माफ करने की बात भी कही जाती है।
Saawan Shiv Puja : आईये विस्तारपूर्वक जानतें हैं तीन तालियों का महत्त्व
तीन तालियों के अर्थ
पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाने के कई गहरे अर्थ हैं:
1. पहली ताली: अपनी उपस्थिति दर्ज कराना (भगवान को जगाना) पहली ताली का अर्थ है भगवान शिव को अपनी उपस्थिति का एहसास कराना। यह एक तरह से भगवान को यह बताने का तरीका है कि “हे महादेव, मैं आपकी शरण में आया हूँ।” यह ताली भक्त के आगमन और उसकी भक्ति की शुरुआत का प्रतीक है।
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2. दूसरी ताली: मनोकामना व्यक्त करना और कष्टों का निवारण (अपनी बात कहना) दूसरी ताली का संबंध अपनी मनोकामनाओं, कष्टों और दुखों को भगवान शिव के सामने व्यक्त करने से है। यह ताली बजाकर भक्त महादेव से अपने दुखों को दूर करने और अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करता है। यह एक याचना का भाव है, जहां भक्त अपनी सारी परेशानियां भगवान के चरणों में अर्पित कर देता है।
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3. तीसरी ताली: पूर्ण समर्पण और आशीर्वाद की याचना (शरण में आना) तीसरी और अंतिम ताली पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। इस ताली के माध्यम से भक्त यह स्वीकार करता है कि वह अब पूरी तरह से भगवान शिव की शरण में है और उनसे आशीर्वाद तथा कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करता है। यह दर्शाता है कि भक्त अपने सभी निर्णय, इच्छाएं और जीवन की दिशा शिवजी के हाथ में सौंप रहा है। यह ताली भगवान शिव के साथ गहरे संबंध को दर्शाती है और उनके चरणों में स्थान पाने की प्रार्थना है।
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साथ ही साथ मान्यता हैं कि भगवान शिव को अंक ३ अत्यंत प्रिय है। उनकी तीन आँखें हैं, उनके अस्त्र त्रिशूल में तीन बिंदु हैं, और वे अपने माथे पर त्रिपुंड (तीन क्षैतिज रेखाएँ) धारण करते हैं ।
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