Sankashti Chaturthi Kab Hai: कब है संकष्टी चतुर्थी…28 या 29 जनवरी? यहां दूर करें कंफ्यूजन, जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Sankashti Chaturthi Kab Hai: कब है संकष्टी चतुर्थी...28 या 29 जनवरी? यहां दूर करें कंफ्यूजन, जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

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  • Publish Date - January 28, 2024 / 08:52 AM IST,
    Updated On - January 28, 2024 / 08:52 AM IST

रायपुरः हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को सकट चौथ के अलावा संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है। सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान श्रीगणेश की आराधना सुख-सौभाग्य आदि प्रदान करने वाली कही गई है। इस व्रत को करने से भगवान गणेशजी प्रसन्‍न होते हैं। इस व्रत को महिलाएं संतान की दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदाएँ दूर होती है।

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कई दिनों से रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों को प्रदान करते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इस दिन गणेश जी का व्रत-पूजन करने से धन-धान्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है और समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

सकट चौथ व्रत तिथि

माघ माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी प्रातः 06 बजकर 10 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को है। सकट चौथ के दिन चंद्रोदय रात 09 बजकर 10 मिनट पर होगा।

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सकट चौथ व्रत के पूजन सामग्री

सकट चौथ के व्रत में पूजन सामग्री के अलावा गुड़, तिल, शकरकंद और फलों का विशेष रूप से उपयोग होता है. इस दिन तिल और लाई के लड्डू भी भगवान गणेश को अर्पित किये जाते हैं. तिल को भूनकर उसे गुड़ की चाशनी में मिलाकर तित का लड्डू बनाया जाता है और फिर से भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि पूजन से प्रसन्न होकर प्रथम पूज्य गणेश जी अपने भक्तों के सभी कष्टों को क्षण में दूर कर देते हैं.

सकट चौथ व्रत की पूजा विधि

– सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें।
– गणेश जी और मां लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाएं। फिर पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
– सकट चौथ में तिल का विशेष महत्व है। इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं।
– ॐ गं गणपतये नमःरू मंत्र का जाप करें।
– अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
– रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत संपन्न करें।

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सकट चौथ व्रत का महत्व

माघ के कृष्ण पक्ष के महीने में आने वाली चौथ को विशेष महत्व होता है। इस चौथ को संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर मां अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और सुखी जीवन के लिए भगवान गणेश की पूजा आराधना करते हुए कामना करती हैं। सकट चौथ पर माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। क्योंकि इस दिन भगवान गणेश ने भगवान शिव जी और माता पार्वती की परिक्रमा की थी, जो लोग सकट चौथ के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । इस दिन शाम के समय भगवान गणेश की पूजा और चंद्रमा के दर्शन करते हुए व्रत का पारण किया जाता है।

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