Shiv aur Kannappa ki Katha : पारंपरिक पूजा विधियों से अनजान कन्नप्पा नयनार ने ऐसा क्या किया की शिवलिंग से बहने लगा खून? ज़रूर पढ़ें ये अद्भुत कथा..
What did Kannappa Nayanar, unaware of the traditional worship methods, do that the Shivling started bleeding? Do read this amazing story..
Shiv aur Kannappa ki Katha
Shiv aur Kannappa ki Katha : भगवान् केवल प्रेम भाव के भूखे हैं, चाहे पारम्परिक विधियों से अनजान हो किन्तु मन सच्चा हो तो भी महादेव प्रसन्न हो जाते हैं ऐसे ही कन्नप्पा नयनार, भगवान शिव के एक महान भक्त थे, जो शिकारी समुदाय से थे। उनकी कहानी भगवान शिव के प्रति उनकी असीम भक्ति और निस्वार्थ प्रेम को दर्शाती है। कन्नप्पा ने अपने तरीके से भगवान शिव की पूजा की, मांस चढ़ाया, और अंततः अपनी एक आंख शिवलिंग पर चढ़ा दी, जब उन्होंने शिवलिंग से खून बहते देखा। आईये ऐसे अनोखे भक्त की कथा आपको बतातें विस्तार से..
Shiv aur Kannappa ki Katha
कन्नप्पा नयनार की कहानी
कन्नप्पा, जिनका असली नाम थिन्नान था, एक शिकारी थे और भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा रखते थे। उन्होंने भगवान शिव को “पिता” मानकर, अपनी भक्ति को सरल प्रेम और भक्ति के साथ व्यक्त किया। वे पारंपरिक पूजा विधियों से अनजान थे, लेकिन उनका प्रेम और समर्पण सच्चा था।
Shiv aur Kannappa ki Katha
कन्नप्पा, शिकार करने जंगल में जाते थे। यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। एक दिन वह शिकार करते-करते कालाहस्ती नामक स्थान पर पहुंच गए। वर्तमान में यह जगह आंध्र प्रदेश की श्रीकालहस्ती कहलाती है। यहां उन्हें एक शिवलिंग दिखा, जिसकी पुजारी रोज पूजा करते थे।यह देख कन्नप्पा का भी मन पूजा करने को किया, किन्तु पारम्परिक पूजा विधियों से अनजान वे अपने शिकार से लाए गए मांस को शिवलिंग पर चढ़ाते थे और अपने मुंह में पानी भरकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते थे।
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पुजारी दुखी होकर शिवलिंग के सामने रोने लगे और गुहार लगाने लगे कि हे प्रभु! आप अपने साथ यह क्यों होने दे रहे हैं जबकि आप पूरी सृष्टि के रचइता हैं, पुरे ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं लेकिन कोई आपको अशुद्ध, अपवित्र करके जा रहा है और आप खुद को नहीं बचा रहे हैं। तब शिवजी द्वारा पुजारी के मन में संदेश भेजा गया कि यह मेरे भक्त का काम है। उसे पूजा करनी नहीं आती है परन्तु वह मुझे श्रद्धा भाव से प्रेम करता है। मैं उसकी अनोखी भक्ति से प्रसन्न हूं। अगर तुम भी उसे देखना चाहते हो तो छिपकर देखना कि उसका मेरे प्रति कितना प्रेम है। एक दिन, जब उन्होंने शिवलिंग से खून बहते देखा, तो उन्होंने सोचा कि शिवलिंग की आंख घायल हो गई है। दूर से देखकर पुजारी घबरा जाते हैं। कन्नप्पा जड़ी बूटी लगाते हैं लेकिन जब खून नहीं रुकता है तो वह अपनी एक बाहर निकालकर और शिवलिंग पर अर्पित कर देते हैं।
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जब उन्होंने अपनी दूसरी आंख निकालने की कोशिश की, तो भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें दोबारा से दृष्टि प्रदान करते हैं और अपने चरणों में स्थान तथा अपनी अनोखी भक्ति के लिए विशेष आशीर्वाद दिया। तब शिवजी ही थिन्नन को कन्नप्पा की उपाधि देते हैं।
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कन्नप्पा नयनार का महत्व
कन्नप्पा नयनार की कहानी हमें सिखाती है कि भगवान को केवल सच्चे भाव से प्रसन्न किया जा सकता है। उनकी कहानी यह भी दर्शाती है कि भक्ति किसी भी पारंपरिक विधि या ज्ञान की मोहताज नहीं है। कन्नप्पा नयनार की कहानी को कई मंदिरों और कला रूपों में दर्शाया गया है, और यह आज भी भक्तों को प्रेरित करती है।
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