Bholenath Bhajan : ऐसा आनंदमयी भजन जिसमें है शिव शम्बू की लीलाओं का वर्णन, सुनते ही मन हो जायेगा प्रसन्न एवं वातावरण हो जायेगा पवित्र
Such a blissful bhajan in which Shiv Shambu's leelaas are described, the mind will become happy on hearing it and the atmosphere will become pure
ek din wo bhole bhandhari ban ke brij ki nari
Bholenath Bhajan : कई हिंदू परंपराओं में भजन सामूहिक गायन और बंधन का एक रूप है भोजन जैसे शरीर के लिए आवश्यक है वैसे ही भजन मन के लिए। भगवान को भजने के लिए भजन किया जाता है। भजन करने से साउंड की जो वाइब्रेशन निकलती हैं, वो हमारे चित को मन को शांत करती है, और हम अच्छा फील करते हैं, हमारा मन प्रसन्न होता है, हमारे चक्र भी बैलेंस होते हैं भजन की वाइब्रेशन के कारण और साथ में हम जो ताली, मंजीरा आदि बजाते हैं उनसे हमें अनेक शारीरिक लाभ भी मिलते हैं।
Bholenath Bhajan : आईये यहाँ सुनें और आनंद लें इस भजन का..
इक दिन वो भोले भंडारी,
बन करके ब्रज की नारी,
गोकुल में आ गए ।
पार्वती भी मना के हारी,
ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गए ।
पार्वती से बोले,
मैं भी चलूँगा तेरे संग में
राधा संग श्याम नाचे,
मैं भी नाचूँगा तेरे संग में
रास रचेगा ब्रज मैं भारी,
हमे दिखादो प्यारी, गोकुल में आ गए ।
इक दिन वो भोले भंडारी…॥
Bholenath Bhajan
ओ मेरे भोले स्वामी,
कैसे ले जाऊं अपने संग में
श्याम के सिवा वहां,
पुरुष ना जाए उस रास में
हंसी करेगी ब्रज की नारी,
मानो बात हमारी, गोकुल में आ गए ।
इक दिन वो भोले भंडारी…॥
Bholenath Bhajan
ऐसा बना दो मोहे,
कोई ना जाने एस राज को
मैं हूँ सहेली तेरी,
ऐसा बताना ब्रज राज को
बना के जुड़ा पहन के साड़ी,
चाल चले मतवाली, गोकुल में आ गए ।
इक दिन वो भोले भंडारी…॥
Bholenath Bhajan
हंस के सत्ती ने कहा,
बलिहारी जाऊं इस रूप में
इक दिन तुम्हारे लिए,
आये मुरारी इस रूप मैं
मोहिनी रूप बनाया मुरारी,
अब है तुम्हारी बारी, गोकुल में आ गए ।
॥ इक दिन वो भोले भंडारी…॥
Bholenath Bhajan
देखा मोहन ने,
समझ गये वो सारी बात रे
ऐसी बजाई बंसी,
सुध बुध भूले भोलेनाथ रे
सिर से खिसक गयी जब साड़ी,
मुस्काये गिरधारी, गोकुल में आ गए ।
॥ इक दिन वो भोले भंडारी…॥
Bholenath Bhajan
दीनदयाल तेरा तब से,
गोपेश्वर हुआ नाम रे
ओ भोले बाबा तेरा,
वृन्दावन बना धाम रे
भक्त कहे ओ त्रिपुरारी,
राखो लाज हमारी, गोकुल में आ गए ।
Bholenath Bhajan
इक दिन वो भोले भंडारी,
बन करके ब्रज की नारी,
गोकुल में आ गए ।
पार्वती भी मना के हारी,
ना माने त्रिपुरारी,
गोकुल में आ गए ।
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