Somwati Amavasya on Sawan

Somwati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन​ विधि

Somwati Amavasya on Sawan सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई 2023 को है। इस दिन हरियाली अमावस्या भी है। हर मनोकामना पूरी होती है।

Edited By :   Modified Date:  July 17, 2023 / 10:52 AM IST, Published Date : July 17, 2023/10:52 am IST

Somwati Amavasya on Sawan : सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई 2023 को है। इस दिन हरियाली अमावस्या भी है। अमावस्या होने की वजह से इस दिन सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है और सोमवती अमावस्या के दिन शिव पूजा से पितृ, शनि और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। सावन का सोमवार काफी मानक होता है,आज का सोमवार सभी के लिए काफी शुभ और सर्वसिद्धिदायक है। सावन के हर सोमवार की अपनी एक महत्ता होती है।हर जगह भगवान शिव के जयकारे गूंज रहे हैं। माना जाता है कि आज के दिन शिव जी की पूजा करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत होता है और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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सावन 2023 के दूसरे सोमवार पर योग

सावन के दूसरे सोमवार पर हरियाली अमावस्या है। ऐसे में इस दिन बुधादित्य योग, सोमवती अमावस्या और सावन सोमवार संयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या पर भोलेनाथ की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। पितृ दोष, कालसर्प दोष और शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए सावन सोमवार व्रत और अमावस्या पुण्यफलदायी मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार इस योग में व्रत, पूजा-पाठ, जप और साधना करने पर समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जलाभिषेक हमेशा दक्षिण दिशा की ओर खड़े होकर करना चाहिए, ऐसा करने से शिव प्रसन्न होते है।

सावन सोमवार महत्व

सावन के सोमवार शिवजी की पूजा बड़ी ही फलदायी और मंगलकारी होती है। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में बाधा आ रही हो तो सावन के सभी सोमवार के दिन पूजा करनी चाहिए। ऐसे ही गंभीर बीमारी की वजह से स्वास्थ और आर्थिक परेशानियां झेल रहे हैं तो सावन सोमवार में शिव पूजा जरुर करें। मान्यता है कि शिवलिंग रूप में भोलेनाथ की उपासना से हर कष्ट से मुक्ति मिल जाती है।

हरियाली अमावस्या 2023 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार सावन अमावस्या तिथि 16 जुलाई 2023 को रात 10 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और 18 जुलाई 2023 को प्रात: 12 बजकर 01 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार हरियाली अमावस्या 17 जुलाई को मान्य रहेगी।

– स्नान-दान समय – सुबह 04.12 – सुबह 04.53
– अमृत (सर्वात्तम) – सुबह 05.34 – सुबह 07.17
– शुभ (उत्तम) – सुबह 09.01 – सुबह 10.44
– शाम का मुहूर्त – शाम 05.27 – रात 07.20

हरियाली अमावस्या

अमावस्या तिथि को पितरों की पूजा और भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के लिए उत्तम फलदायी बताई गई है। जब अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार सोमवती अमावस्या पुष्कर योग में है। आइए जानते हैं कब है सावन की सोमवती अमावस्या और क्या है पुष्कर योग। सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इस साल सावन के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 16 जुलाई को 10 बजकर 9 मिनट से अगले दिन 17 जुलाई को रात में 12 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि 17 तारीख को होने के कारण सोमवती अमावस्या का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन पुष्कर योग भी है। जब सोमवार को अमावस्या तिथि लग जाती है तो उसे पुष्कर योग बनता है। जो सूर्य ग्रहण का स्नान दान का पुण्य प्रदान करता है।

हरियाली अमावस्या महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या को पर्व माना जाता है, खासकर सोमवार और शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या बहुत खास होती है। सावन में हरियाली अमावस्या पर शिव-पार्वती पूजन के साथ ही तुलसी, आम, बरगद, नीम आदि के पौधे रोपने से देव और पितृ दोनों प्रसन्न होते हैं। सावन हरियाली अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान के बाद दीप दान करने वाला मनुष्य विष्णु लोक को प्राप्त होता है। नारद पुराण के अनुसार के अनुसार इस दिन देवपूजा के साथ वृक्षारोपण करने से आरोग्य, संतान, लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। कालसर्प दोष, शनि दोष और पितर दोष से छुटकारा मिलता है।

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सोमवती अमावस्या में जरूर करें ये काम

Somwati Amavasya on Sawan : सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ और भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद जल में थोड़ा सा गंगजल मिलाकर पीपल के पेड़ को सीचे। इसके बाद कच्चे सूत के धागे से 108 बार पीपल की परिक्रमा करें। कहते हैं ऐसा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोमवती अमावस्या पूजन विधि

  • सुबह स्नान आदि के बाद काले तिल जल में डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
  • इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर लें और फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
  • इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक करें और उन्हें बेलपत्र, भांग, धतूरा, और फूल आदि अर्पित करें।
  • अंत में शिव चालीसा और शिवमंत्रों का जप करते हुए रुद्राक्ष की एक माला करें।
  • पूजा समापन के बाद ब्राह्मणों को कुछ दक्षिणा जरूर दें।

 

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