महाशिवरात्रि का महामुहूर्त! नए साल में कब बरसेगी भोलेनाथ की कृपा और किस वक्त मिलेगा पूजा का पुण्य फल?

महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा व व्रत करते हैं और चारों पहर की विशेष आराधना करते हैं। आइए जानते हैं वर्ष 2026 में महाशिवरात्रि किस दिन पड़ेगी।

महाशिवरात्रि का महामुहूर्त! नए साल में कब बरसेगी भोलेनाथ की कृपा और किस वक्त मिलेगा पूजा का पुण्य फल?

(2026 Me Mahashivratri Kab Hai / Image Credit: Meta AI)

Modified Date: December 11, 2025 / 03:27 pm IST
Published Date: December 11, 2025 3:20 pm IST
HIGHLIGHTS
  • महाशिवरात्रि 15 फरवरी 2026, रविवार को मनाई जाएगी
  • चतुर्दशी तिथि 15 फरवरी शाम 5:04 बजे से 16 फरवरी शाम 5:34 बजे तक
  • मुख्य पूजा समय: रात 12:09 बजे से 1:01 बजे तक

2026 Me Mahashivratri Kab Hai: महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि को शिव कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। भक्त इस दिन विशेष पूजा और व्रत रखकर शिव-शक्ति की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्रि 2026: कब मनाई जाएगी?

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 15 फरवरी 2026 को शाम 5:04 बजे शुरू होकर 16 फरवरी को 5:34 बजे समाप्त होगी। चूंकि शिवरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि रविवार, 15 फरवरी 2026 को मनाई जाएगी।

मुख्य पूजा मुहूर्त 2026

महाशिवरात्रि मुख्य पूजा मुहूर्त: रात 12:09 बजे से 1:01 बजे तक।
शिवरात्रि पारण समय (16 फरवरी): सुबह 6:59 बजे से दोपहर 3:24 बजे तक।

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चार प्रहरों की पूजा का समय

पहला प्रहर

शाम 6:11 बजे से रात 9:23 बजे तक।

दूसरा प्रहर

रात 9:23 बजे से 16 फरवरी 12:35 बजे तक।

तीसरा प्रहर

रात 12:35 बजे से सुबह 3:47 बजे तक।

चौथा प्रहर

सुबह 3:47 बजे से 6:59 बजे तक।

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर व्रत रखते हैं और शिव-पार्वती की आराधना करते हैं। श्रद्धाभाव से किया गया यह व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और समृद्धि का वरदान देता है।

व्रत से मिलता है संपूर्ण फल

त्रयोदशी तिथि को कई भक्त केवल एक बार भोजन कर व्रत की तैयारी करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान और संकल्प के बाद शाम को पुनः स्नान करके शुभ मुहूर्त में शिव पूजा की जाती है। अगले दिन पारण करने पर साधक को व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।

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लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।