गुरु रत्नेश्वर धाम में स्थापित हैं विशालतम स्फटिक शिवलिंग, इस पावन भूमि पर कदम रख चुके हैं चारों शंकराचार्य

गुरु रत्नेश्वर धाम में स्थापित हैं विशालतम स्फटिक शिवलिंग, इस पावन भूमि पर कदम रख चुके हैं चारों शंकराचार्य

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  • Publish Date - November 23, 2020 / 10:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

धर्म। अनंत..अनादि..अनीश्वर..अजर..अमर.. अविनाशी..देवों के देव महादेव का यहां मौजूद है अलौकिक धाम । महादेव यहां गुरु रत्नेश्वर के नाम से विराजते हैं। कहते हैं, शिवजी के इस रूप के दर्शन मात्र से हर सारे कष्ट मिट जाते हैं । यहां बिन मांगे सबकी झोली भरते हैं..शिव शंभू ।

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सिवनी जिले के दिघोरी गांव में स्थित है गुरु रत्नेश्वर धाम, सिवनी से 15 किलोमीटर दूर स्थित है ये गांव । बैनगंगा नदी के किनारे आबाद है दिघोरी गांव । यहां एक विशाल शिवालय स्थापित है, जितना विशिष्ट ये मंदिर है….उतना ही दिव्य है मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग । यहां स्फटिक पत्थर से निर्मित शिवलिंग स्थापित किया गया है। कहा जाता है कि ये विश्व का सबसे विशालतम स्फटिक शिवलिंग है। 6 एकड़ में फैले मंदिर परिसर के कोने-कोने में ऊं नम:शिवाय की गूंज सुनाई देती है। मंदिर का निर्माण गांववासियों के सहयोग से साल 2002 में कराया गया था ।

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गुरु रत्नेश्वर महादेव के इस द्वार पर देश के चारों शंकराचार्य स्फटिक शिवलिंग के दर्शन के लिए आ चुके हैं। साथ ही कांचीकामकोठी पीठ के परम आचार्य भी इस पवित्र भूमि पर आ चुके हैं। रत्ननेश्वर महादेव के इस द्वार पर जो भी आता है, वो खाली हाथ नहीं जाता । मान्यता है कि धन..दौलत..यश..वैभव…और संतान सब की प्राप्ति यहां होती है। मन में आस्था और श्रद्धा की ज्योति जलाकर प्रेम से जय-जय रत्नेश्वर की टेर लगाने से यहां आए भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।