Importance of Nirjala Ekadashi

Importance of Nirjala Ekadashi : आज है निर्जला एकादशी, जानें व्रत का महत्व, भूलकर भी न करें ये गलतियाँ 

Importance of Nirjala Ekadashi : एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

Edited By :   Modified Date:  June 17, 2024 / 07:17 AM IST, Published Date : June 17, 2024/7:17 am IST

Importance of Nirjala Ekadashi : निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में श्रेष्‍ठ माना गया है। यह व्रत बेहद कठिन होता है, इसमें पूरे दिन निर्जला रहना होता है। ज्‍येष्‍ठ माह की भीषण गर्मी में निर्जला रहना बहुत मुश्किल होता है इसलिए इस व्रत को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है। इस वर्ष 17 जून को यानि आज निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। हर एकादशी में भगवान विष्णु के पूजा का विधान है। एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

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निर्जला एकादशी का महत्व

बता दें कि सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की इस निर्जला एकादशी का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। निर्जला एकादशी में निर्जल यानि बिना पानी पिए व्रत करने का विधान है। कहते हैं जो व्यक्ति साल की सभी एकादशियों पर व्रत नहीं कर सकता वो इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ भी उठा सकता है। निर्जला एकादशी का व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें अन्न और जल कुछ भी ग्रहण करने की मनाही होती है। ऐसे में इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

भूलकर भी न करें ये गलतियाँ 

निर्जला एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है। विधि-विधान के साथ व्रत ना रखा जाए तो इसका फल भी नहीं मिलता। यदि इस दिन आप व्रत रख रहे हैं तो जल का ग्रहण बिल्कुल भी ना करें। मांस मदिरा और तामसिक भोजन का का सेवन करना अशुभ माना जाता है। एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोगों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन जल से भरा हुआ कलश दान करें। भूल कर भी काले रंग के वस्त्र धारण न करें। लड़ाई-झगड़ा करने से बचे। किसी को भी बुरा-भला न बोले। इस दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना शुभ नहीं माना जाता। इसीलिए पहले से ही पहले से ही पत्तों को तोड़कर रख लें।

निर्जला एकादशील पर करें इन मंत्रों का जाप

1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
3- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

  1. 4- ॐ विष्णवे नम:
  2. 5- ॐ हूं विष्णवे नम:
  3. 6- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
  4. 7- लक्ष्मी विनायक मंत्र –
    दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
  5. हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  6. 8- ॐ अं वासुदेवाय नम:
    9- ॐ आं संकर्षणाय नम:
    10- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
    11- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
    12- ॐ नारायणाय नम:

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