Ekadashi in September 2024 : सितंबर में दो बड़ी एकादशी..व्रत करने से चमकेगा भाग्य, यहां देखें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Ekadashi in September 2024 : सितंबर में दो बड़ी एकादशी..व्रत करने से चमकेगी भाग्य, यहां देखें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि |

Ekadashi in September 2024 : सितंबर में दो बड़ी एकादशी..व्रत करने से चमकेगा भाग्य, यहां देखें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Indira Ekadashi 2024

Modified Date: September 13, 2024 / 10:55 am IST
Published Date: September 13, 2024 10:51 am IST

भोपाल। Ekadashi in September 2024 : हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। एक पूर्णिमा होने पर और दूसरी अमावस्या होने पर। पूर्णिमा से आगे आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के उपरान्त आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इन दोनों प्रकार की एकादशियोँ का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है।एकादशी भगवन श्री हरी को बहुत प्रिय है, माना जाता है की इस दिन जो व्यक्ति अन्न खाता है वह बहुत बड़े पाप का भागी बनता है। वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, अभी सितंबर माह चल रहा है, तो चलिए इस माह में कब-कब एकादशी पड़ रही है? इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं..

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परिवर्तनी एकादशी

पंचांग के आधार पर भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 13 सितंबर, 2024 दिन शुक्रवार को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 14 सितंबर, 2024 दिन शनिवार को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए 14 सितंबर को परिवर्तनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) का व्रत रखा जाएगा।

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इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार 27 सितंबर, 2024 को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन रविवार 28 सितंबर, 2024 को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर 28 सितंबर को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

 

एकादशी पूजा विधि

पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा और श्रीयंत्र के साथ देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और फूल-माला अर्पित करें। गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पांच मौसमी फल, सूखे मेवे, पंजीरी-पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें। वैदिक मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें।

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years