धन-विलासिता के दाता शुक्र ला रहा परिवर्तन, इस मंत्र के उपयोग से छप्‍पर फाड़ बरसेगा धन!

यह ग्रह आकाश में सूर्योदय से ठीक पहले पूर्व दिशा में तथा सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में देखा जाता है , Venus, giver of wealth and luxury :

धन-विलासिता के दाता शुक्र ला रहा परिवर्तन, इस मंत्र के उपयोग से छप्‍पर फाड़ बरसेगा धन!
Modified Date: November 29, 2022 / 08:58 pm IST
Published Date: October 21, 2022 9:02 am IST

धर्म। Venus change rashifal  : ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रमुखता प्राप्त है। प्राचीन समय से ही ‘शुक्र’ को शुभ ग्रह मानते हुए समस्त मांगलिक कार्यों में इसकी शुभ स्थिति देखी जाती है। इसे ‘भोर का तारा’ तथा ‘सांयकाल का तारा’ भी मानते आये है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शुक्र दैत्यों के गुरु हैं। ये सभी विद्याओं व कलाओं के ज्ञाता हैं। ये संजीवनी विद्या के भी ज्ञाता हैं। यह ग्रह आकाश में सूर्योदय से ठीक पहले पूर्व दिशा में तथा सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में देखा जाता है। (Venus change rashifal  )

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Venus change rashifal  शुक्र भगवान शंकर की घनघोर तपस्या कर वरदान में अमरत्व तथा मृत संजीवनी विद्या प्राप्त की, यही कारण था कि शुक्र मरे हुये राक्षसों को पुनः जीवित कर देते थे। शुक्र प्राणीमात्र के ब्रह्मरन्ध्र में अमृत संचार करता है। दूसरा वरदान शुक्र के पास भगवान शंकर का यह था कि गुरु बृहस्पति से तीन गुना बल अधिक था और उसी बल के द्वारा उसने अतुल्यनीय बल और वैभव की प्राप्ति कर ली थी। अर्थात जो भी संपत्ति कोई कठिन परिश्रम से प्राप्त करे उसे वह साधारण से मार्ग से प्राप्त कर ले। तीसरा वरदान उसे शंकरजी से यह मिला कि सभी ग्रह ६, ८, १२ भाव में बलहीन हो जाते है और अपना प्रभाव नही दे पाते है, लेकिन शुक्र को वरदान मिला कि ६ भाव को छोडकर वह ८ और १२ में और अधिक बलवान हो जायेगा और जातक को अनुपातहीन सम्पत्ति का मालिक बना देगा।

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Venus change rashifal  चौथा वरदान भगवान शंकर ने उसे दिया कि जो भी उसे मानेगा, उसकी सेवा और पूजा करेगा उसे वह उच्च पदासीन कर देगा, यह चार वरदान भगवान शंकर से शुक्र को प्राप्त हुये। भगवान शुक्राचार्य दैत्य गुरु है, दैत्य दानवों पर इनकी नित्य कृपा बनी रहती है। महाराजा बलि की सहायता के लिये शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को बामन अवतार धारण करते वक्त पृथ्वी को दान में न देने के लिये अपनी एक आंख फुडवा ली थी। तभी से शुक्र का रूप एक आंख का माना जाता है। तब से ही यह माना जाता है कि माया की एक आंख होती है। शुक्र के सम्बन्ध के बारे में एक कथा और प्रचलित है कि जो व्यक्ति भोर का तारा यानी शुक्र के उदय के समय जागकर अपने नित्य कर्मों में लग जाता है, वह तो लक्ष्मी का धारक बन जाता है। इस प्रकार जो शुक्र को प्रबल कर लेता है वह संजीवनी विद्या का जानकार बन जाता है और जीवन में सभी संजीवन का उपभोग करता है।

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इस प्रकार बल और वैभव तथा संजीवन प्राप्त करने के लिए सूर्योदय से पूर्व एवं सूर्यास्त के उपरांत शुक्र के मंत्रों का जाप, शुक्र से संबंधित दान तथा व्रत करना, महामाया के दर्शन करना तथा दुर्गा कवच का पाठ करना चाहिए। 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण जीवन और मृत्यु और मृत्यु के बाद की तमाम स्थितियों से रहस्य का पर्दा हटाता है। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा ज्ञान, सदाचार, यज्ञ, तप, नीति, नियम और धर्म की बातों का भी जिक्र किया गया है. इस महापुराण में संजीवनी विद्या का भी वर्णन किया गया है।

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संजीवनी मंत्र
“यक्षि ओम उं स्वाहा” इस मंत्र को गरुड़ पुराण में संजीवनी मंत्र बताया गया है

Venus change rashifal  :  संजीवनी मंत्र के अलावा महामृत्युंजय मंत्र को भी काफी शक्तिशाली माना गया है. महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख शिवपुराण में है. इसके अलावा ऋगवेद और यजुर्वेद में भी इसकी महिमा का गुणगान किया गया है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति मरणासन् है तो इस अवस्था में महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध करके इसका जाप कराया जाए तो मृत्यु टल जाती है. ऋषि मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र के बल पर अपने प्राणों को बचाया था और यमराज को खाली हाथ यमलोक भेज दिया था. ये भी मान्यता है कि दैत्यगुरू शुक्राचार्य ने रक्तबीज को महामृत्युंजय सिद्धि प्रदान की थी, जिससे युद्धभूमि में उसकी रक्त की बूंद गिरने मात्र से उसकी संपूर्ण देह की उत्पत्ति हो जाती थी.

Venus change rashifal यह पूजा किसी जातक के लिए तब भी जाती है जब लाख प्रयत्नों के बाद भी उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है, जो जातक मरणासन्न् स्थिति में होता है, जिस जातक की बार-बार दुर्घटनाएं होती हैं। यह पूजा स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी करवाई जा सकती है ताकि उसे जीवन में कभी किसी बड़े रोग या दुर्घटना का सामना ना करना पड़े और उसकी आयु और यश में वृद्धि हो। इस पूजा से व्यक्ति के जीवन धन, संपत्ति, वैभव और संपन्न्ता भी आती है।

इस मंत्र जाप को सामान्य तौर पर नहीं करने की बात शास्त्रों में की गई है क्योकि सामान्य विधि से इस मंत्र से लाभ प्राप्त करना संभव नहीं और विशेषतौर पर मंत्रजाप करना सामान्य जातक के लिए संभव नहीं है। अतः इस मंत्र को करने में विशेष सावधानी जरूर रखनी चाहिए।

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