आखिर रात में ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा? सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

kinnaron ki shav Yatra: बता दें कि किन्नरों के रीति रिवाज के अनुसार, उनके शव को जलाने की बजाए दफनाया जाता है।

आखिर रात में ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा? सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

kinnaron ki shav Yatra

Modified Date: March 29, 2023 / 11:09 am IST
Published Date: March 29, 2023 11:09 am IST

kinnaron ki shav Yatra : नई दिल्ली।  कहा जाता है कि किन्नरों की दुआओं में बहुत शक्ति होती है। यही वजह है कि घर में किसी भी शुभ काम को करने के दौरान किन्नर जरूर आते हैं। कोई त्यौहार, शादी ब्याह या किसी के यहां बच्चा पैदा होने पर ये अपना आशीर्वाद देने वहां पहुंच ही जाते हैं और अपने हिसाब से जश्न मनाते हैं। इस दौरान बहुत से लोग उनकी मांग को पूरा कर देते हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें भगा भी देते हैं। किन्नरों को हमारे समाज में थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है। हालांकि उनसे जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।

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kinnaron ki shav Yatra : इन किन्नरों का रहने का तरीका, काम करने का तरीका आदि हम लोंगो से अलग ही रहते है। यह लोग एक अलग ही तरह की दुनिया में रहते है। इसलिए हम लोगों को इनके बारे में जानकारी बहुत कम है। ऐसा कहा जाता है कि इन्हें इनकी मौत का आभास पहले से ही हो जाता है, जिस कारण वे उस दैरान कहीं भी आना-जाना बंद कर देते हैं। इतना ही नहीं, वे मौत का आभास होते के बाद खाना भी त्याग देते हैं। हालांकि, वे उस दौरान केवल पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं कि वे अगले जन्म में किन्नर न बनें।

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kinnaron ki shav Yatra : बता दें कि किन्नरों के रीति रिवाज के अनुसार, उनके शव को जलाने की बजाए दफनाया जाता है। शव को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है। इस दौरान इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शव किसी चीज से बंधा न हो। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दिवंगत किन्नर की आत्मा आजाद हो सके। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि अगर मृत किन्नर के शरीर को किसी आम जन ने देख लिया तो वो दिवंगत किन्नर अगले जन्म में भी किन्‍नर ही बनेगा। यही कारण है कि इनके अंतिम संस्कार के सभी रीति-रिवाज देर रात में पूरे किए जाते हैं।

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इसके अलावा किन्नर समुदाय के लोग शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्‍पलों से पीटते हैं ताकि दिवंगत किन्नर को दोबारा इस योन‍ि में जन्‍म न मिले। सभी किन्‍नर शव के पास खड़े होकर उसकी मुक्ति के लिए अपने आराध्‍य देव को धन्‍यवाद देते हैं। इसके बाद दान-पुण्‍य की विधि  शुरू की जाती है।

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years