NavratriDay 2 Maa Brahmacharini: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें क्या है इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
NavratriDay 2 Maa Brahmacharini: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें क्या है इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Navratri Day 2 Maa Brahmacharini/ Image Credit: IBC24 File
- नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
- मां ब्रह्मचारिणी की अराधना करने वाले व्यक्ति को क्रोध, स्वार्थ और ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृतियां दूर होती है।
नई दिल्ली। NavratriDay 2 Maa Brahmacharini: आज यानी 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। इसका समापन 07 अप्रैल को होगा। ऐसे में देशभर के देवी मंदिरों में मां दुर्गा की उपासना की जाएगी। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि को छोड़कर दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। वहीं चैत्र नवरात्रि चैत्र महीने में पड़ती है। इसकी शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और नवमी तिथि पर समापन होता है। नवरात्रि के पहले दिन आज माता शैल पुत्री की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। ऐसे में जानते हैं इसके पूजा का सही समय क्या है।
31 मार्च 2025, सोमवार को दुर्गा माता के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की जायेगी। माता का यह स्वरुप ध्यान, ज्ञान व वैराग्य का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी की अराधना करने वाले व्यक्ति को लंबी आयु और सुख-सौभाग्य के साथ आलस्य, क्रोध, स्वार्थ और ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृतियां दूर होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:40 से 05:26 तक, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:01 से दोपहर 12:50 तक, विजय मुहूर्त दोपहर 14:30 से दोपहर 15:19 तक और अमृत काल सुबह 07:24 से सुबह 08:48 तक रहेगा।
पूजा विधि
सबसे पहले, पूजा स्थल को शुद्ध करें। सफाई करने के बाद, एक स्वच्छ आसन पर बैठें या पूजा स्थान को पवित्र करने के लिए एक ताजे फूल से साफ करें।
पूजा स्थान पर लाल कपड़े बिछाएं क्योंकि ये रंग मां ब्रह्मचारिणी को प्रिय होते हैं। पूजा में मां ब्रह्मचारिणी की एक तस्वीर या मूर्ति रखें।
पूजा स्थल पर दीपक लगाएं और धूप या अगरबत्ती जलाएं। मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें।
करें इन मंत्रों का जाप
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

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