SarkarOnIBC24: मोदी सरकार ने पेश किया ‘जाति जनगणना’ का पूरा प्लान.. क्या ख़त्म होगी सत्ता-विपक्ष के बीच की तकरार?. देखें सरकार
देश में किस जाति का कितना प्रतिनिधित्व है। उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति कैसी है ये जाने बिना सरकार चाहे कितनी भी अच्छी योजनाएं बना ले उसका सही फायदा उस वंचित तबके तक नहीं पहुंच सकता।
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- मोदी सरकार 2026 से दो चरणों में देशभर में पहली बार जातीय जनगणना शुरू करेगी।
- पहले चरण में हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी।
- जातीय जनगणना से वंचित वर्ग की स्थिति समझकर योजनाओं का सही लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।
What is Modi government’s ‘caste census’ plan?: नई दिल्ली: मोदी सरकार ने जाति जनगणना को लेकर चल रही सभी अटकलों को बुधवार को विराम दे दिया। जाति जनगणना की ना केवल टाइमलान जारी की बल्कि ये भी साफ कर दिया कि इसे मूल जनगणना के साथ तय समय सीमा में पूरा कर लिया जाएगा। मोदी सरकार जाति जनगणना पर रुख साफ कर चुकी है लेकिन फिर भी इस पर सियासत थमी नहीं है। दरअसल बीजेपी खुलकर इसका श्रेय ले रही है तो कांग्रेस राहुल गांधी के दबाव और बिहार चुनाव से जोड़कर पलवार कर रही है यानी जाति जनगणना पर अब क्रेडिट की पॉलिटिक्स हावी है।
मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ जारी भारी तनाव के बीच 30 अप्रैल को जाति जनगणना का ऐलान कर सबको हैरान कर दिया था। वहीं इस घोषणा के 35 दिनों के भीतर ही सरकार ने जाति जनगणना का पूरा प्लान भी पेश कर दिया है। गृह मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक देश में जाति जनगणना दो चरणों में पूरी होगी.. पहला फेज 1 अक्टूबर 2026 से शुरु होगा। जिसमें 4 पहाड़ी राज्य- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जाति जनगणना की जाएगी। वहीं 1 मार्च 2027 से दूसरा फेज शुरू होगा, जिसमें देश के बाकी राज्यों में जातीय जनगणना शुरू होगी।
What is Modi government’s ‘caste census’ plan?: देश में आजादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना होने जा रही है। जिसे मूल जनगणना के साथ कराया जाएगा। राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दल लंबे समय से सरकार पर इसके लिए दबाव बनाए हुए थे। बिहार और तेलंगाना जैसे राज्य अपने यहां जाति-जनगणना करा चुके हैं, जिससे भी केंद्र सरकार पर इस दिशा में आगे बढ़ने का दबाव था। हालांकि इस पर फैसले के बाद भी सियासत थमी नहीं है.
छत्तीसगढ़ में भी इसे लेकर बयानबाजी तेज है। बीजेपी जहां मोदी सरकार की इस फैसले के लिए जमकर तारीफ कर रही है तो वहीं कांग्रेस लेटलतीफी का आरोप लगा रही है।
What is Modi government’s ‘caste census’ plan?: देश में किस जाति का कितना प्रतिनिधित्व है। उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति कैसी है ये जाने बिना सरकार चाहे कितनी भी अच्छी योजनाएं बना ले उसका सही फायदा उस वंचित तबके तक नहीं पहुंच सकता। इसी के चलते जाति जनगणना पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि इसका सियासी पहलू भी है। पार्टियां चाहती है कि उन्हें सभी जातियों का डेटा पता हो ताकि वो चुुनाव के समय इसके जरिए वोटर्स को लुभा सके। 2011 में मनमोहन सरकार के दौरान सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी, लेकिन उसके आंकड़े जारी नहीं किए गए। अब जाति जनगणना की ताजा कवायद क्या रंग दिखाती है, ये देखना दिलचस्प होगा।

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