‘मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ स्टंट ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर लगाया ब्रेक ! मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर शेयर किए आंकड़े

Mallikarjun Kharge on Make in India': खरगे ने कई प्रकार से आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि ''मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' स्टंट के 10 सालों ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर ब्रेक लगा दिया है!''

‘मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ स्टंट ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर लगाया ब्रेक ! मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर शेयर किए आंकड़े

5 facts that leave India behind in the manufacturing sector

Modified Date: September 25, 2024 / 06:16 pm IST
Published Date: September 25, 2024 6:16 pm IST

नईदिल्ली: Mallikarjun Kharge on Make in India’:  कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर तीखा हमला बोला है। खरगे ने कई प्रकार से आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि ”मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ स्टंट के 10 सालों ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर ब्रेक लगा दिया है!”

उन्होंने कहा कि ”10 साल पहले, पीएम नरेंद्र मोदी ने “मेक इन इंडिया” का नारा गढ़ा था और आत्मनिर्भर भारत बनाने का दावा किया था। बीजेपी के जोरदार प्रचार के विपरीत, मोदी सरकार की फ्लॉप नीतिगत पहलों के कारण भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर औद्योगीकरण से वंचित हो गया है।”

5 facts that leave India behind in the manufacturing sector: खरगे ने आगे लिखा है कि ”भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पीछे छोड़ने वाले 5 तथ्य ये हैं –

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1 — 2014-15 और 2023-24 के बीच विनिर्माण क्षेत्र की औसत वृद्धि दर सिर्फ़ 3.1% (बीजेपी-एनडीए) है। जबकि 2004-05 और 2013-14 के बीच औसत वृद्धि दर 7.85% (कांग्रेस-यूपीए) थी।

2 — कांग्रेस-यूपीए शासन के दौरान कारखानों में कर्मचारियों की संख्या सालाना 6.2% बढ़ी। मोदी सरकार के कार्यकाल में यह वृद्धि दर बहुत कम होकर मात्र 2.8% रह गई।

2011-12 और 2022 के बीच भारत के विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में मामूली वृद्धि देखी गई, जो 6 करोड़ से बढ़कर मात्र 6.3 करोड़ श्रमिकों तक पहुंच गई। हर साल 1.5 करोड़ युवा कार्यबल में प्रवेश करते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए सालाना 3 लाख नौकरियों का यह मामूली इजाफा अपर्याप्त है।

एनएसओ के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार का हिस्सा सभी श्रमिकों (2011-12) का 12.6% था। यह घटकर 10.9% (2020-21) रह गया, फिर थोड़ा सुधार के साथ 11.6% (2021-22) पर आ गया।

3 — मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का हिस्सा अब तक के सबसे निचले स्तर 12.83% (2023) पर पहुंच गया है। कांग्रेस-यूपीए के दौरान यह 15.25% (2013) था।

4 — पीएलआई योजनाएं कई क्षेत्रों में बुरी तरह विफल रही हैं। उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, एडवांस केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी, कपड़ा उत्पाद, विशेष स्टील, सफेद सामान और चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्र दावा किए गए परिणाम देने में विफल रहे हैं।

अधिकांश पीएलआई योजनाओं को उद्योग से ठंडी और उदासीन प्रतिक्रिया मिली है और विशेषज्ञों ने योजनाओं की खराब डिजाइन, स्पष्टता की कमी और वास्तविक मूल्य संवर्धन नहीं होने के लिए आलोचना की है।

5 — साल दर साल, मोदी सरकार ने मोदी जी के करीबी दोस्तों को लाभ कमाने वाले सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी भी बेची है, जिससे हमारे सार्वजनिक क्षेत्र की रीढ़ टूट गई है।

सरकारी नौकरियों को भरने के बजाय, मोदी सरकार ने 5.1 लाख पदों को समाप्त कर दिया है! पीएसयू में आकस्मिक और अनुबंध भर्ती में 91% की भारी वृद्धि हुई है। एससी, एसटी, ओबीसी पदों में 1.3 लाख (2022-23) की कमी आई है।

कुल मिलाकर भारतीय कारखानों में 40% संविदा कर्मचारी हैं (2021-22), कांग्रेस-यूपीए के दौरान यह सिर्फ 5% (2013-14) था।

बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, गिरते निर्यात और बचत के खत्म होने के साथ, मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पर चमकदार विज्ञापन इसकी भारी विफलताओं को छुपा नहीं सकते!”

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com