भारतीय फुटबॉल के लिए निराशा से भरा रहा वर्ष 2025

भारतीय फुटबॉल के लिए निराशा से भरा रहा वर्ष 2025

भारतीय फुटबॉल के लिए निराशा से भरा रहा वर्ष 2025
Modified Date: December 21, 2025 / 11:07 am IST
Published Date: December 21, 2025 11:07 am IST

नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) भारतीय फुटबॉल के लिए वर्ष 2025 निराशा से भरा रहा जिसमें उसे गंभीर प्रशासनिक संकट, अदालती सुनवाई, वित्तीय समस्याओं, घरेलू लीग के अभाव और सीनियर पुरुष टीम के खराब प्रदर्शन से जूझना पड़ा।

जैसे-जैसे साल खत्म होने लगा लियोनेल मेस्सी के बहुचर्चित ‘जीओएटी इंडिया टूर’ ने कुछ दिलचस्पी पैदा की और इस खेल को लेकर कुछ चर्चा शुरू करने पर मजबूर किया। लेकिन इससे भारतीय फुटबॉल को कुछ फायदा हुआ होगा ऐसा नहीं लगता है।

भारतीय फुटबॉल की अपनी समस्याएं ही कम नहीं थी और ऐसे में मेस्सी के दौरे के पहले दिन साल्ट लेक स्टेडियम में फैली अराजकता और अव्यवस्था ने शर्मिंदगी को और बढ़ा दिया।

 ⁠

भारतीय फुटबॉल के गढ़ कहे जाने वाले कोलकाता में कानून-व्यवस्था का बिगड़ना भले ही अच्छी खबर न हो, लेकिन हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली में मेस्सी के कार्यक्रम अच्छी तरह से आयोजित किए गए।

इस साल भारत की सीनियर पुरुष टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। उसे ढाका में नवंबर में खेले गए 2027 एएफसी एशियाई कप क्वालीफाइंग मैच में बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा। यह बांग्लादेश के खिलाफ पिछले 22 वर्षों में उसकी पहली पराजय थी।

भारतीय टीम वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय मैचों में एक भी जीत हासिल नहीं कर पाई थी, लेकिन इस साल वह कुछ जीत हासिल करने में कामयाब रही, जिसमें सितंबर में मध्य एशियाई देशों ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आयोजित सीएएफए नेशंस कप में कांस्य पदक जीतना भी शामिल है।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मैचों में भारत अपेक्षित प्रदर्शन करने में विफल रहा और 2011 के बाद पहली बार एशियाई कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर सका, जिससे टीम फीफा रैंकिंग में और नीचे खिसक गई।

बांग्लादेश के अलावा भारतीय पुरुष टीम को हांगकांग और सिंगापुर जैसी कम रैंकिंग वाली टीमों से भी हार का सामना करना पड़ा। सिंगापुर से 1-2 से मिली हार ने एशियाई कप में प्रवेश करने की उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

जहां एक ओर पुरुष टीम मैदान पर संघर्ष कर रही थी वहीं दूसरी ओर प्रशासक मैदान के बाहर की समस्याओं से जूझ रहे थे।

अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) का रिलायंस के स्वामित्व वाली फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) के साथ पिछला अनुबंध आठ दिसंबर को समाप्त हो गया। इसके बाद वह इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के लिए एक नया वाणिज्यिक भागीदार नहीं जुटा पाया जिससे इस खेल पर संकट पैदा हो गया।

यही वजह है कि देश की सर्वोच्च फुटबॉल लीग आईएसएल अभी तक शुरू नहीं हो पाई है जबकि सामान्य परिस्थितियों में उसे शुरू हुए अब तक तीन महीने हो गए होते।

प्रायोजक पीछे हट रहे हैं, क्लबों ने अपने संचालन को रोक दिया है और खिलाड़ी एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं, जबकि उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रत्येक हितधारक से गुहार लगाई थी। वर्तमान समय में जो स्थिति बनी हुई है उसे देखते हुए घरेलू लीग के भविष्य पर गंभीर संदेह मंडरा रहा है।

इस वर्ष उच्चतम न्यायालय में लगातार सुनवाई हुई और संकट के समाधान के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हुए भारतीय फुटबॉल के सभी हितधारकों से देश में खेल के विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

खेल जगत में छाई निराशा के बीच महिला राष्ट्रीय टीमों और जूनियर टीमों ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया, जिससे बेहतर भविष्य की उम्मीदें जगी हैं। महिला टीम ने जुलाई में थाईलैंड के चियांग माई में एएफसी महिला एशियाई कप 2026 के लिए सीधे क्वालीफाई करके इतिहास रचा। भारतीय महिला टीम पहली बार इस प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई करने में सफल रही।

एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि में भारतीय महिला लीग की मौजूदा चैंपियन ईस्ट बंगाल एफसी, एएफसी महिला चैंपियंस लीग में मुख्य ड्रॉ का मैच जीतने वाली देश की पहली टीम बनी।

जहां तक ​​जूनियर टीमों का सवाल है तो भारतीय टीम ने श्रीलंका में खेले गए एसएएफएएफ अंडर-17 चैंपियनशिप में अपना सातवां खिताब जीता। उसने फाइनल में बांग्लादेश को पेनल्टी शूटआउट में हराकर जीत हासिल की।

भाषा

पंत

पंत


लेखक के बारे में