एआईएफएफ ने नए व्यावसायिक साझेदार के चयन की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय पैनल बनाया
एआईएफएफ ने नए व्यावसायिक साझेदार के चयन की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय पैनल बनाया
नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार अपने नए व्यावसायिक साझेदार के चयन के लिए पूरी निविदा प्रक्रिया की निगरानी करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
उच्चतम न्यायालय ने दो सितंबर को दिए आदेश में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के आयोजन की अनुमति भी दी थी जिसे आयोजक एफएसडीएल ने 11 जुलाई से रोक दिया था। एफएसडीएल राष्ट्रीय महासंघ का मौजूदा व्यावसायिक साझेदार भी है।
एआईएफएफ ने रविवार को बयान में कहा, ‘‘चयन प्रक्रिया की निगरानी के लिए कार्यकारी समिति ने तीन सदस्यीय बोली मूल्यांकन समिति (बीईसी) बनाने का फैसला किया। बीईसी के अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव होंगे।’’
समिति के अन्य दो सदस्य एशियाई फुटबॉल परिसंघ (एएफसी) की ऑडिट और कंप्लायंस समिति के सदस्य केसवरन मुरगुसु और एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि न्यायमूर्ति राव एआईएफएफ के व्यावयासिक साझेदार को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में मदद के लिए एक या दो पेशेवर को नियुक्त कर सकते हैं।
तीन सदस्यीय समिति बनाने का निर्णय एआईएफएफ की कार्यकारी समिति ने शनिवार को वर्चुअल बैठक के बाद लिया। एआईएफएफ ने सुपर कप टूर्नामेंट को 25 अक्टूबर से 22 नवंबर तक चरणबद्ध तरीके से आयोजित करने का भी फैसला किया।
एआईएफएफ ने कहा, ‘‘कार्यकारी समिति ने एआईएफएफ की व्यावसायिक संपत्तियों के अधिकारों को सीमित समय के लिए प्रबंधित करने और उन्हें मौद्रिक लाभ में बदलने के लिए एक एजेंसी का चयन करने के लिए महासंघ के रिक्वेस्ट फॉर कोटेशन (आरएफक्यू) प्रोसेस को मंजूरी दी।’’
मौजूदा मास्टर अधिकार करार के तहत एफएसडीएल सालाना 50 करोड़ रुपये का भुगतान करता है और उसने पुष्टि की कि उसने 18 अगस्त 2025 को जुलाई-सितंबर की 12.5 करोड़ रुपये के त्रैमासिक शुल्क का भुगतान कर दिया है।
एफएसडीएल ने एआईएफएफ की जरूरत के अनुसार 12.5 करोड़ रुपये (अक्टूबर-दिसंबर 2025) की अंतिम किश्त का अग्रिम भुगतान करने पर भी सहमति व्यक्त की।
भाषा सुधीर पंत
पंत

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