कप्तानी ने बदल दिया खेल के प्रति छेत्री का रवैया |

कप्तानी ने बदल दिया खेल के प्रति छेत्री का रवैया

कप्तानी ने बदल दिया खेल के प्रति छेत्री का रवैया

:   Modified Date:  May 16, 2023 / 04:41 PM IST, Published Date : May 16, 2023/4:41 pm IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय करियर के अपने शुरुआती दिनों में पीछे बैठा करते थे और सीनियर खिलाड़ियों का मजाक उड़ाते थे लेकिन 2011 में जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो यह सब बदल गया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उन्हें टीम के लिए उदाहरण पेश करने की जरूरत है।

महान फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया के 2011 एशियाई कप के बाद संन्यास लेने पर तत्कालीन कोच बॉब हॉटन ने दो महीने बाद मलेशिया में होने वाले एएफसी चैलेंज कप क्वालीफायर्स में युवा टीम की अगुआई करने की जिम्मेदारी छेत्री को सौंपी और उन्हें कप्तान बनाया।

छेत्री ने ‘डिज्नी प्लस हॉटस्टार’ पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम ‘लेट दियर बी स्पोर्ट्स’ में कहा, ‘‘जिस दिन मुझे (कप्तान का) आर्मबैंड दिया गया, यह मलेशिया में बॉब हॉटन ने किया था, उसी समय तुरंत दबाव आ गया था क्योंकि मैं बैकबैंचर (पीछे बैठने वाला) था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं, स्टीवन (डियाज) और (एनपी) प्रदीप, सीनियर खिलाड़ियों का मजाक उड़ाते थे, मैं ऐसा ही था। सब कुछ मजाक था और मैं शरारती था।’

छेत्री ने कहा, ‘‘लेकिन जब मैंने आर्मबैंड पहना तो शुरुआती तीन-चार मैचों के लिए मैंने आगे बैठना शुरू कर दिया।’’

इस 38 वर्षीय फुटबॉलर ने कहा, ‘‘मैं दबाव महसूस कर रहा था कि मैं अब कप्तान बन गया हूं। अब मुझे सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि टीम के बारे में सोचना था।’’

छेत्री का भारत के लिए आखिरी बड़ा टूर्नामेंट दोहा में होने वाला एशियाई कप 2024 हो सकता है।

छेत्री ने 2005 में क्वेटा में पाकिस्तान के खिलाफ मैत्री मैच में भारत के लिए पदार्पण किया। उन्होंने इस मैच में गोल दागा जिससे भारत मुकाबला 1-1 से ड्रॉ कराने में सफल रहा। उस समय भारतीय टीम के कोच सुखविंदर सिंह थे।

छेत्री ने कहा कि उन्होंने कप्तान बनने के बाद खेल को लेकर अपना रवैया बदला क्योंकि उन्हें उदाहरण पेश करने की जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले यह मानसिकता थी कि मैं सुनील छेत्री हूं- मेरा ड्रिबल, मेरा पास, मेरा क्रॉस, मेरा गोल। लेकिन अब आप अपने अलावा टीम के बारे में भी सोच रहे थे, मैदान के अंदर भी और बाहर भी।’’

छेत्री ने कहा, ‘‘और इससे पहले जब मैं खुद को इस तरह सोचने के लिए बाध्य करता था तो मैं डर जाता था। मैंने खुद से कहा कि सहज रहो, अब भी वही काम करना है। मैदान के अंदर और बाहर अच्छा उदाहरण बनो।’’

भाषा सुधीर पंत

पंत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)