कोच परमजीत ने बदला सीमा का कुश्ती कैरियर

कोच परमजीत ने बदला सीमा का कुश्ती कैरियर

कोच परमजीत ने बदला सीमा का कुश्ती कैरियर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: May 12, 2021 12:33 pm IST

फारूख नगर , 12 मई ( भाषा ) सीमा बिस्ला ने कभी सोचा भी नही था कि वह ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करेगी बल्कि उसने राष्ट्रीय कुश्ती खिताब जीतने के बारे में भी नहीं सोचा था लेकिन फिर उसे ऐसा गुरू मिला जिसे उसके हुनर पर उससे अधिक भरोसा था ।

बार बार नाकामी और कोचों से सहयोग नहीं मिलने से आजिज आ चुकी सीमा को इस कठिन खेल में बने रहने के लिये एक अदद नौकरी की दरकार थी । ओलंपिक खेलने के बारे में उसने कभी नहीं सोचा था ।

कैंसर से जूझ रहे किसान पिता की बेटी सीमा अपने परिवार पर बोझ नहीं डालना चाहती थी । उसने परमजीत यादव की मदद से भारतीय रेलवे में खेल कोटे से नौकरी के लिये आवेदन किया और 2017 में क्लर्क की नौकरी लगी ।

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उसने परमजीत के मार्गदर्शन में अभ्यास की इच्छा जताई और नौकरी मिलने के बाद पहले गुरूग्राम और फिर फारूख नगर में अकादमी में अभ्यास करने लगी ।

अब वह तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाली चौथी भारतीय महिला है ।उसने पिछले सप्ताह सोफिया में विश्व क्वालीफायर के जरिये 50 किलो में कोटा हासिल किया ।

सीमा ने कहा ‘‘ मैंने तो कभी ये सोचा भी नहीं था कि नेशनल जीतूंगी । अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि मैने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर लिया ।’’

परमजीत ने कहा ,‘‘आपका दिमाग रणनीति बनाता है लेकिन उस पर अमल शरीर करता है । उसके पास सब कुछ था लेकिन दमखम की कमी थी । उसकी नाकामी का कारण सही खुराक नहीं मिलना था ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ वह दूध पीती थी और घर का खाना खाती थी । ऐसे में दमदार विरोधियों से कैसे खेलती । वह गरीब परिवार से है जो उसकी खुराक की जरूरतें पूरी नहीं कर सकता था । अब उसके पास नौकरी है और वह सूखे मेवे, मल्टी विटामिन समेत अच्छी खुराक ले रही है ।’’

सीमा ने कहा कि उसके कैरियर में पहली बार किसी ने उसके खेल में इतनी रूचि दिखाई ।

उसने कहा ,‘‘ मैं चाहती थी कि कोच मुझे कड़ा अभ्यास करायें लेकिन मेरे सत्र कुछ मिनट के ही होते थे । मेरा अधिकांश अभ्यास मैट के बाहर होता था जिससे मुझे चिढ होती थी । किसी ने मुझ पर फोकस नहीं किया । फिर मुझे परमजीत सर के रूप में सही गुरू मिला ।’’

उसने कहा ,‘‘सोफिया में ओलंपिक क्वालीफिकेशन के दिन जब मैं मैट पर जा रही थी तो सर ने सुबह बुलाकर इतना ही कहा कि जो मैं अभ्यास में करती हूं, वही करना है ।उन्हें मुझ पर काफी भरोसा था और वह सही साबित हुआ ।’’

भाषा मोना सुधीर

सुधीर


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