नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुक्केबाजी की अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के लिए एक अंतरिम समिति के गठन पर केंद्र का रुख पूछा है।
उच्च न्यायालय ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के दो पदाधिकारियों की उनके निलंबन के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करते हुए बताया कि सात अप्रैल को विश्व मुक्केबाजी ने महासंघ के मामलों को चलाने के लिए अंतरिम समिति का गठन किया था क्योंकि उसे ‘भारतीय मुक्केबाजी हितधारकों से भारत में मुक्केबाजी को बहाल करने के लिए स्थिरता की मांग करने के अनुरोध प्राप्त हुए थे’।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने आठ अप्रैल को पारित आदेश में कहा, ‘‘आगे बढ़ने से पहले इस न्यायालय का विचार है कि खेल मंत्रालय को विश्व मुक्केबाजी द्वारा जारी उक्त पत्र के संबंध में अपना रुख सामने लाना चाहिए। ’’
न्यायालय ने आदेश दिया, ‘‘तदनुसार विश्व मुक्केबाजी द्वारा जारी सात अप्रैल 2025 के उक्त पत्र के आशय के संबंध में भारत संघ की ओर से उपस्थित अधिवक्ता द्वारा निर्देश लिए जाएं। ’’
न्यायालय ने केंद्र से यह भी पूछा कि भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के चुनाव किस प्रकार आगे बढ़ाए जाएं।
दिग्विजय सिंह और हेमंत कुमार कलिता ने 18 मार्च को बीएफआई द्वारा जारी आदेशों द्वारा क्रमशः कोषाध्यक्ष और महासचिव के पदों से अपने निलंबन को चुनौती दी।
बीएफआई के महासचिव हेमंत कलिता को 18 मार्च को एक जांच में ‘वित्तीय अनियमितताओं’ का दोषी पाए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था और आगामी चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए उनके नामांकन को भी खारिज कर दिया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन द्वारा की गई जांच के बाद कोषाध्यक्ष दिग्विजय सिंह को भी इसी तरह के आरोपों पर निलंबित कर दिया गया था।
जैन को बीएफआई ने जांच करने के लिए नियुक्त किया था।
जांच के बाद दोनों पर अनधिकृत रूप से धन निकासी, फर्जी बिल बनाने और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया।
मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।
भाषा नमिता सुधीर
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