आईएसएल क्लबों ने खुद के स्वामित्व वाली लीग का प्रस्ताव रखा

आईएसएल क्लबों ने खुद के स्वामित्व वाली लीग का प्रस्ताव रखा

आईएसएल क्लबों ने खुद के स्वामित्व वाली लीग का प्रस्ताव रखा
Modified Date: December 19, 2025 / 04:20 pm IST
Published Date: December 19, 2025 4:20 pm IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) क्लबों ने शुक्रवार को देश की शीर्ष स्तरीय पेशेवर फुटबॉल लीग के मूलभूत पुनर्गठन का औपचारिक प्रस्ताव रखा जिसके तहत अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को खेल के नियामक के रूप में बरकरार रखते हुए क्लबों के स्वामित्व वाली लीग मॉडल के लिए स्थायी परिचालन और वाणिज्यिक अधिकार मांगे ।

यह प्रस्ताव आईएसएल क्लबों को लीग के संचालन के लिए एक संघ के गठन की योजना प्रस्तुत करने के लिए दी गई समय सीमा के अंतिम दिन पेश किया गया। लीग का 2025-26 सत्र अभी शुरू होना बाकी है।

खेल मंत्रालय और एआईएफएफ को संबोधित एक संयुक्त पत्र में क्लबों ने कहा, ‘‘हम अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय  के समक्ष भारत की शीर्ष स्तरीय पेशेवर फुटबॉल लीग के स्वामित्व, संचालन और परिचालन ढांचे के पुनर्गठन के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव औपचारिक रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रस्ताव में भारत में शीर्ष स्तर की फुटबॉल की निरंतरता को सुरक्षित रखने, संस्थागत शासन को मजबूत करने, लीग की दीर्घकालीन वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, विश्व स्तर पर स्वीकृत सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाने के साथ एआईएफएफ को विनियमन, शासन, जमीनी स्तर के विकास और राष्ट्रीय टीम की उत्कृष्टता के अपने मूल कर्तव्य पर अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करने का सुझाव है।’’

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारतीय फुटबॉल में अनिश्चितता का माहौल है, जिसमें प्रशासन संबंधी चुनौतियां, वाणिज्यिक समझौतों की समाप्ति और एआईएफएफ संविधान में संशोधन से संबंधित उच्चतम न्यायालय में चल रही कार्यवाही शामिल हैं।

क्लबों ने प्रस्ताव दिया है कि एआईएफएफ, एएफसी और फीफा के नियमों और दिशानिर्देशों का निरंतर अनुपालन करने की शर्त पर एआईएफएफ भारत की शीर्ष स्तरीय पेशेवर फुटबॉल लीग के संचालन, प्रबंधन और व्यावसायिक लाभ उठाने का अधिकार एक समर्पित ‘लीग कंपनी’ को हमेशा के लिए प्रदान करे।

इस प्रस्ताव में लीग कंपनी के संरचना के बारे में कहा गया, ‘‘ भाग लेने वाले क्लबों के पास सामूहिक रूप से स्थायी बहुमत अंशधारिता होगी। एआईएफएफ के पास एक विशेष शेयर होगा, जो खेल की अखंडता, नियामक प्राधिकरण और वैधानिक अनुपालन की सुरक्षा करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्लबों को लीग स्तर पर एक वाणिज्यिक या रणनीतिक भागीदार को शामिल करने की छूट होगी, बशर्ते कि क्लब, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बहुमत स्वामित्व और मतदान नियंत्रण बनाए रखें।’’

उन्होंने बताया, ‘‘किसी वाणिज्यिक भागीदार को शामिल करने के लिए किए गए किसी भी अवमूल्यन के बावजूद क्लब हर समय लीग कंपनी के बहुमत शेयरधारक बने रहेंगे ।’’

 इसमें आगे प्रस्ताव दिया गया कि महासंघ को ‘लीग कंपनी के बोर्ड में एक निदेशक को नामित करने का स्थायी अधिकार होगा’।

इस ढांचे के तहत, एआईएफएफ की भूमिका नियामक और प्रशासनिक कार्यों तक ही सीमित रहेगी, जिसमें प्रतियोगिता नियमों का निर्माण, क्लबों को लाइसेंस देना, अनुशासन संहिता, रेफरी और मैच अधिकारियों की नियुक्ति और प्रबंधन और राष्ट्रीय टीम की प्रतिबद्धताओं के समन्वय से लीग कैलेंडर को अंतिम रूप देना शामिल है।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘एआईएफएफ लीग से संबंधित किसी भी व्यावसायिक जोखिम या परिचालन दायित्व को वहन नहीं करेगा।’’

लीग कंपनी के माध्यम से कार्य करते हुए क्लब दैनिक संचालन, मीडिया और प्रायोजन अधिकारों के व्यावसायिक उपयोग, वित्तीय अनुशासन, और प्रसारण एवं खेल मानकों को बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी लेंगे।

वित्तीय प्रस्ताव के तहत क्लबों ने सुझाव दिया कि बदलाव के दौर के कारण उपजी परिस्थितियों और प्रतियोगिता की निर्बाध निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए 2025-26 सत्र के लिए एआईएफएफ को लीग अधिकार शुल्क का भुगतान न किया जाए।

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘2026-27 सत्र से आगे क्लब सामूहिक रूप से एआईएफएफ को 10 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान देने पर विचार कर सकते हैं। यह वाणिज्यिक भागीदार होने या नहीं होने पर निर्भर नहीं करेगा। इस अनुदान का उपयोग जमीनी स्तर और युवा विकास, रेफरी, कोच और तकनीकी विकास, और एआईएफएफ के प्रशासनिक और शासन संबंधी खर्चों के लिए किया जाएगा।’’

क्लबों ने निरंतरता बनाए रखने पर जोर देते हुए  आश्वासन दिया कि फुटबॉल सत्र को स्थगित नहीं होने दिया जाएगा और कहा कि वे नियामक अनुमोदन और लॉजिस्टिक्स संबंधी तैयारियों के अधीन, अधिकारों के औपचारिक हस्तांतरण के 45 दिनों के भीतर लीग शुरू करने का प्रयास करेंगे।

यह स्वीकार करते हुए कि प्रस्ताव के कुछ हिस्सों के लिए एआईएफएफ संविधान में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है, जिसकी वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के अधीन है। क्लबों ने एआईएफएफ और मंत्रालय दोनों से न्यायालय के समक्ष ऐसे परिवर्तनों के औचित्य को प्रस्तुत करने के लिए समर्थन मांगा।

क्लबों ने एआईएफएफ से यह भी अनुरोध किया कि ‘इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक रूप से विचार कर इसी के मुताबिक अनुसार मंत्रालय के साथ संवाद करें और एआईएफएफ, मंत्रालय और क्लबों के प्रतिनिधियों से युक्त एक संयुक्त कार्य समूह का गठन करें जो एएफसी, फीफा और न्यायालय से समय-सीमा और अनुमोदन सहित कानूनी, नियामक और इस बदलाव के दौर से जुड़े मामलों को संबोधित करे।’

आईएसएल के सभी क्लबों के प्रतिनिधियों को शनिवार को होने वाली एआईएफएफ की वार्षिक आम बैठक में आमंत्रित किया गया है, जहां इस मामले पर चर्चा होने की उम्मीद है।

भाषा आनन्द मोना

मोना


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