जयपुर, 30 नवंबर (भाषा) विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता तीरंदाज अदिति गोपीचंद स्वामी का मानना है कि खेलो इंडिया युवा खेलों (केआईवाईजी) और खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों (केआईयूजी) जैसे टूर्नामेंट किसी खिलाड़ी के पेशेवर विकास और वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
अदिति विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय और दुनिया की सबसे कम उम्र की कंपाउंड तीरंदाज हैं।
उन्होंने एक तीरंदाज के रूप में अपने प्रदर्शन का श्रेय खेलो इंडिया पहल को दिया और कहा कि यही वह मंच था जिसने उन्हें पहचान दिलाई और उन्हें शीर्ष स्तर की प्रतियोगिताओं को समझने और उनमें ढलने का मौका दिया।
इस 19 साल की तीरंदाज ने कहा, ‘‘टॉप्स के लिए चुने जाने से पहले चीजें काफी मुश्किल थी। खान-पान, जिम और प्रशिक्षण का खर्च काफी अधिक था। मेरे पिता ने मेरे खेल के सफर में साथ देने के लिए बहुत त्याग किए। खेलो इंडिया योजना के तहत मिली छात्रवृत्ति से हमें काफर मदद मिली।’’
महाराष्ट्र के सतारा की इस तीरंदाज ने कहा, ‘‘इससे हमें सिर्फ प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला।’’
बर्लिन में 2023 में आयोजित विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली अदिति ने खेलो इंडिया युवा खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते हैं।
उन्होंने शिवाजी विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए खेलो इंडिया विश्व विद्यालय खेलों राजस्थान 2025 में अपनी पहली उपस्थिति में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की तनिपर्थी चिकिथा को हराकर स्वर्ण पदक जीतकर उस विरासत को जारी रखा।
भाषा आनन्द नमिता
नमिता