विकेट धीमा होने से मुझे दबाव बनाने में मदद मिल रही है : राहुल चाहर | Slowing wickets is helping me to create pressure: Rahul Chahar

विकेट धीमा होने से मुझे दबाव बनाने में मदद मिल रही है : राहुल चाहर

विकेट धीमा होने से मुझे दबाव बनाने में मदद मिल रही है : राहुल चाहर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:11 PM IST, Published Date : October 22, 2020/11:23 am IST

शारजाह, 22 अक्टूबर (भाषा) मुंबई इंडियंस के लेग स्पिनर राहुल चाहर ने गुरूवार को कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में धीरे धीरे पिचें धीमी हो रही हैं और भारत से ज्यादा बड़े मैदान होने से वह इंडियन प्रीमियर लीग में लगातार बल्लेबाजों पर दबाव बना सके।

चाहर ने नौ मैचों में 7.40 के इकोनॉमी रेट से 11 विकेट झटके हैं।

जब उनसे यहां की और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम के बीच तुलना करने के बारे में पूछा गया तो चाहर ने कहा, ‘‘शुरूआती मैचों में हमें लगा कि यहां का विकेट वानखेड़े स्टेडियम के विकेट की तरह ही है जो बल्लेबाजों के लिये आसान है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब विकेट धीरे धीरे धीमा हो रहा है इसलिये मुझे अपनी लेंथ में कुछ तालमेल बिठाना पड़ा। ’’

चाहर ने चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ शुक्रवार को होने वाले मैच की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘वानखेड़े में एक स्पिनर को शार्ट गेंदें फेंकनी पड़ती है लेकिन हम यहां फुल लेंथ गेंदबाजी कर रहे हैं क्योंकि मैदान काफी बड़े हैं और पिचें थोड़ी धीमी हैं, तो हम फुल लेंथ गेंद फेंक सकते हैं और बल्लेबाजों पर दबाव बना सकते हैं। ’’

चाहर को यह भी लगता है कि कलाई के स्पिनर ज्यादा सफल हैं क्योंकि वे मैदान बड़े होने से स्वछंदता से गेंदबाजी कर सकते हैं जिसका उदाहरण रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के युजवेंद्र चहल हैं जिन्होंने अभी तक 15 विकेट झटक लिये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘शायद, मैदान बड़े हैं और कलाई के स्पिनरों को स्वछंदता से गेंदबाजी करने की आजादी मिल रही है और वे फ्लाइट दे सकते हैं और जब एक लेग स्पिनर अन्य स्पिनरों की तुलना में फ्लाइट देता है तो उसे हिट करना आसान नहीं है इसलिये वे ज्यादा सफल हैं। ’’

चाहर ने कहा, ‘‘मैं जहीर भईया (पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज जहीर खान) के पास जाता हूं क्योंकि पिछले साल से वो जो भी मुझे कहते हैं, मैं समझ सकता हूं। वह मेरी गेंदबाजी को भी समझते हैं और कभी कभार जब मैं गेंदबाजी कर रहा होता हूं तो वह एक घंटे तक बैठते हैं। पिछले साल उन्होंने मेरा अलग सत्र लिया था और मुझे समस्यायें और उनका हल बताया था और मैं हमेशा उनके पास जाता हूं। ’’

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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