पूर्व सीएम अजीत जोगी की जाति पर फैसला लेने में लगे 30 साल, जानिए पूरी खबर

पूर्व सीएम अजीत जोगी की जाति पर फैसला लेने में लगे 30 साल, जानिए पूरी खबर

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  • Publish Date - July 3, 2017 / 02:24 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

 

साल 1986-87 से जोगी की जाति को  लेकर सवाल उठ रहे हैं। पिछले 30 साल में एक बार इंदौर हाईकोर्ट, दो बार जबलपुर हाईकोर्ट, एक बार बिलासपुर हाईकोर्ट और एक बार सुप्रीम कोर्ट तक मामला जा चुका है। 

भाजपा नेता दिलीप सिंह भूरिया जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब उन्होंने अपने घर में काम करने वाले संत कुमार नेताम के माध्यम से जोगी के आदिवासी नहीं होने की पहली शिकायत दर्ज कराई थी। भूरिया ने आयोग की रिपोर्ट में जोगी के आदिवासी नहीं होने का फैसला भी दिया था। बिलासपुर हाईकोर्ट ने उनके फैसले को खारिज कर दिया था। इसके बाद भूरिया सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को उच्च स्तरीय छानबीन समिति से जांच कराने का आदेश दिया था। हाईपावर कमेटी को दो महीने में रिपोर्ट पेश करना था, लेकिन 5 साल तक कोई रिपोर्ट नहीं आई तो इसी साल भाजपा नेता नंदकुमार साय ने हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ मामला लगाया..नंदकुमार साय ने ये कहते हुए एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी, कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2011 को एक आदेश देकर राज्य शासन को निर्देश दिए थे, कि जोगी की जाति की छानबीन कर रही हाईपावर कमेटी के निर्णय के तहत कार्रवाई करे। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन सदस्यीय हाईपावर कमेटी बनाई और अब जाकर हाईपावर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि जोगी आदिवासी नहीं है।