राज्यपाल के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक, 15 अगस्त के कार्यक्रम यथावत, सांस्कृतिक आयोजन नहीं

राज्यपाल के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक, 15 अगस्त के कार्यक्रम यथावत, सांस्कृतिक आयोजन नहीं

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  • Publish Date - August 14, 2018 / 10:18 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:14 PM IST

रायपुर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामदास टंडन के निधन पर राज्य सरकार ने 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। हालांकि 15 अगस्त के कार्यक्रम यथावत होंगे लेकिन सांस्कृतिक आयोजन नहीं किए जाएंगे। राज्यपाल का अंतिम संस्कार पंजाब स्थित उनके गृह ग्राम में किया जाएगा। फिलहाल उनके बेटे संजय टंडन के आने की प्रतीक्षा की जा रही है।

बताया गया कि आंबेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए राजभवन में रखा जाएगा। यह भी जानकारी दी गई कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ। सुबह उन्हें नाश्ते की टेबल पर कार्डियक अरेस्ट आया। आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

वहीं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने शोक संदेश में कहा है कि स्वर्गीय टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में विगत लगभग चार वर्षों तक प्रदेश को अपनी मूल्यवान सेवाएं दी। राज्यपाल के रूप में वह छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर काफी सजग रहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा- विगत चार सालों में प्रदेश के हितों को लेकर और प्रदेशवासियों की बेहतरी से जुड़े विषयों को लेकर मुझे हमेशा उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। 

 

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डॉ. सिंह ने कहा – मुझे तो ऐसा लग रहा है कि हम सबने अपने राज्य के अभिभावक को हमेशा के लिए खो दिया है। उन्होंने 25 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद का दायित्व संभाला था। मेरे लिए वह पिता तुल्य थे। मुख्यमंत्री ने कहा – उनका निधन मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है। वह अत्यंत सहज, सरल और निश्छल स्वभाव के थे। राजनीति में ऐसे लोग बिरले ही मिलते हैं। 

डॉ. रमन सिंह ने कहा – स्वर्गीय टंडन ने अपने 91 वर्ष के जीवन काल में लगभग 65 सालों तक जनता की सेवा के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वर्ष 1975 से 1977 तक आपातकाल में उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। वर्ष 1953 से 1967 तक वह अमृतसर नगर निगम के पार्षद रहे। उनकी लोकप्रियता  का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि वह छह बार पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। विधायक के रूप में उन्होंने वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969 और 1977 में अमृतसर का और वर्ष 1997 में राजपुरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इतना ही नहीं, बल्कि पंजाब सरकार के केबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने उद्योग, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, श्रम और रोजगार विभागों में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया।

मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय टंडन के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। 

बता दें कि बलरामजी दास टंडन का जन्म एक नवम्बर 1927 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था।  उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से स्नातक उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वह लगातार पंजाब में सामाजिक-सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे और वर्ष 1953 से 1997 के बीच छह अलग-अलग अवधि में पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।

टंडन वर्ष 1979 से 1980 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।  वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था, उन्होंने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाग लेने का बीड़ा उठाया, जिसे उस समय सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता था। इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किए  गए लेकिन सौभाग्य से टंडन सुरक्षित रहे।

बलरामजी ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाये रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया। टंडन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे। 

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उन्होंने कॉम्पिटेंट फाउंडेशनके चेयरमेन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर, निःशुल्क दवाई वितरण, निशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की। बलरामजी दास टंडन के सुपुत्र संजय टण्डन ने उनके जीवन पर आधारित किताब एक प्रेरक चरित्रलिखी, जिसका विमोचन वर्ष 2009 में तत्कालीन पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने की थी। सौम्य स्वभाव के टंडनजी की खेलों में गहरी रूचि है। वे कुश्ती, व्हालीबॉल, तैराकी एवं कबड्डी जैसे खेलों के सक्रिय खिलाड़ी भी रहे थे।

वेब डेस्क, IBC24