जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का विरोध करने पर भाजपा को बिहार में समर्थन वापस ले लेना चाहिए : राउत

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का विरोध करने पर भाजपा को बिहार में समर्थन वापस ले लेना चाहिए : राउत

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  • Publish Date - July 18, 2021 / 01:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

मुंबई, 18 जुलाई (भाषा) शिवसेना सांसद संजय राउत ने जनसंख्या नियंत्रण पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्तावित मसौदा विधेयक का रविवार को स्वागत किया और कहा कि यदि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) इस विधेयक का विरोध करती है तो भाजपा को बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए।

जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के मसौदे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में दो से अधिक बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने और किसी भी तरह की सब्सिडी प्राप्त करने के लिए प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ में राउत ने सवाल किया कि क्या विधेयक ईमानदार इरादे से लाया गया है और कहा कि यह मुद्दा (जनसंख्या नियंत्रण) जाति, धर्म और राजनीति से परे होना चाहिए।

सामना के कार्यकारी संपादक राउत ने लिखा, ‘‘राम मंदिर के मुद्दे का समाधान हो चुका है इसलिए अब इस मुद्दे पर मतदान करने के लिए नहीं कहा जा सकता। ऐसा कहा जा रहा है कि जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का उद्देश्य विधानसभा चुनाव (अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले) से पहले ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से लाया गया है।’’

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे ‘ मुस्लिम विरोधी’ करार दिया है।

राउत ने ध्यान दिलाया कि उत्तर प्रदेश और बिहार की आबादी करीब 15 करोड़ है और अधिकतर लोग दूसरे राज्यों में जीविकोपार्जन के लिए पलायन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में आबादी के नियंत्रण के लिए कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए।

उन्होंने लिखा, ‘‘(उप्र के मुख्यमंत्री)योगी आदित्यनाथ को इस पहल के लिए बधाई दी जानी चाहिए और अगर नीतीश कुमार इसका विरोध करते हैं तो भाजपा को बिहार में समर्थन वापस ले लेना चाहिए।’’

वर्ष 1947 में भारत के विभाजन को याद करते हुए राउत ने कहा कि देश पंथनिरपेक्ष राज्य (देश) बना ,‘‘ जहां हिंदुओं को धर्मनिरपेक्षतावादी बनकर रहने पर मजबूर किया गया जबकि मुस्लिम और अन्य धर्मों ने धार्मिक आजादी का आनंद लिया।’’

शिवसेना के राज्य सभा सदस्य ने लिखा, ‘‘ ये लोग जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन में विश्वास नहीं करते हैं। उनके लिए आजादी के मायने एक से अधिक पत्नी होनो और बच्चे पैदा करना है…निश्चित तौर पर, देश की आबादी बढ़ी है लेकिन उनमें से अधिकतर निरक्षर और बेरोजगार हैं।’’

उन्होंने दावा किया कि आठ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। राउत ने लिखा, ‘‘ अवैध आव्रजन (पड़ोसी बांग्लादेश से) के कारण असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में जनसांख्यिकी बदल गई है।’’

उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने मसौदा विधेयक का यह कहकर विरोध किया कि इससे हिंदू समुदाय बुरी तरह से प्रभावित होगा और सुझाव दिया कि चीन की एक बच्चे से तीन बच्चे की नीति में हुए बदलाव का अध्ययन किया जाना चाहिए।

राउत ने कहा, ‘‘जो हिंदुत्ववादी लोग चाहते हैं कि मुस्लिमों की बढ़ती आबादी का मुकाबला करने के लिए हिंदू भी चार या पांच बच्चे पैदा करें, वे जनसंख्या नियंत्रण विधेयक ला रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मसौदा विधेयक को प्रयोग के तौर पर देखा जाना चाहिए और हर अच्छी चीज का आकलन धर्म, जाति और राजनीति के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए।’’

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष