मुंबई, चार मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि प्रथम दृष्टया उसकी यह राय है कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ शुरू की गई दो प्राथमिक जांच (पीई) को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की खंडपीठ ने यह भी उल्लेख किया कि याचिका में राहत संबंधी दावे सेवा मामलों से जुड़े हैं, ऐसे में यह कैट के अधिकारक्षेत्र में आते हैं।
हालांकि, आईपीएस परमबीर सिंह के वकील सन्नी पुनामिया ने याचिका को स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि सिंह की तरफ से पेश होने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी मंगलवार को पेश नहीं हो सके।
पीठ ने कहा, ” प्रथम दृष्टया हमारा यह विचार है कि याचिका में राहत संबंधी दावे को लेकर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण फैसला ले सकता है। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील स्थगन चाहते हैं। इस मामले में हमे कोई जल्दबाजी नहीं जान पड़ती और इस मामले को नौ जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।”
महाराष्ट्र सरकार के वकील दरिउस खम्बाटा ने अदालत को बताया कि याचिका औचित्यहीन हो गई है क्योंकि राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडेय, जिन्हें सिंह के खिलाफ प्राथमिकी जांच के लिए कहा गया था, ने सिंह की याचिका में उन पर लगाए गए आरोपों के चलते खुद को इस मामले से अलग कर लिया है।
खम्बाटा ने पीठ से कहा, ” डीजीपी ने खुद को मामले से अलग कर लिया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी जांच के संबंध में ताजा आदेश जारी किए हैं। सरकार भी इस याचिका का विरोध कर रही है क्योंकि यह सेवा से जुड़ा मामला है।”
पीठ ने मामले को स्थगित करते हुए कहा कि इस याचिका के लंबित रहने के दौरान सिंह द्वारा कैट का दरवाजा खटखटाने पर कोई रोक नहीं रहेगी।
परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ ”कथित भ्रष्टाचार के आचरण” को उजागर करने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है।
भाषा शफीक अनूप
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