बर्बादियों का जश्न मना रहे हैं मुख्यमंत्री : अखिलेश
बर्बादियों का जश्न मना रहे हैं मुख्यमंत्री : अखिलेश
लखनऊ, 15 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए मंगलवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में संवेदनहीनता चरम पर है और मुख्यमंत्री ‘बर्बादियों का जश्न’ मना रहे हैं।
यादव ने सत्ताधारी दल पर तंज कसते हुए कहा, ”भाजपा ने ‘हर फिक्र को धुएं में उड़ाते चल’ देने को ही अपना आदर्श वाक्य बना लिया है जो संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है और मुख्यमंत्री जी तो ‘बर्बादियों का जश्न मनाते ही चल’ रहे हैं।”
मंगलवार को समाजवादी पार्टी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”जब उप्र में कोई विकास हुआ ही नहीं तो अब चार वर्ष बाद मुख्यमंत्री कार से औचक निरीक्षण करने के लिए निकलने की घोषणा कर रहे हैं। जनता को भुलावे में डालने की यह साजिश सफल होने वाली नहीं क्योंकि उनकी वादा खिलाफी से जनता भलीभांति परिचित हो गई है। कोई उनसे गुमराह होने वाला नहीं है।”
यादव ने कहा, ”भाजपा सरकार में असहमति बड़ा अपराध बन गई है। विपक्ष उसको फूटी आंखो नहीं सुहाता है। लोकतंत्र की मान्यताओं में उसका विश्वास नहीं हैं। देश का अन्नदाता अपनी मांगों को लेकर 20 दिनों से आंदोलित है। भाजपा सरकार उनकी सुनने के बजाय अपनी मनवाने का हठ पाले हुए है। यही नहीं, अपने प्रचार तंत्र से भाजपा ने किसानों के बीच फूट डालने और आंदोलन को बदनाम करने का भी अभियान छेड़ दिया है। यह अभियान उस झूठ का हिस्सा है जिसमें किसानों की आवाज को दबाना है।”
उन्होंने कहा, ”किसानों के समर्थन पर समाजवादी कार्यकर्ताओं को जेल भेजकर भाजपा सरकार ने साबित कर दिया कि वह फर्जीवाड़ा करने की उस्ताद है। जनता से भाजपा को अपने अवैधानिक, अलोकतांत्रिक कार्य के लिए माफी मांगनी चाहिए। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार किसान विरोधी कानून का समर्थन करने में आगे है।”
उन्होंने दावा किया कि इस राज्य में किसान सबसे ज्यादा बदहाल है। ओलावृष्टि, बेमौसम बरसात से बर्बाद फसल का मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि गन्ना किसान का बकाया भुगतान नहीं हुआ, किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई और तो और किसान को न तो लागत का ड्योढ़ा दाम मिला न ही उसकी आय दोगुनी हुई।
उन्होंने दावा किया कि अब किसान की खेती को कारपोरेट कंपनियों की बंधक बनाने, किसान को खेत मालिक की जगह मजदूर बनाने और सरकारी संस्थानों को बेचने या उनको निजी हाथों में सौंपने के काम में ही भाजपा सरकार लगी है।
भाषा आनन्द
शफीक प्रशांत
प्रशांत

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