लॉकडाउन के बीच ‘नेबर कट्टा’ की वजह से महाराष्ट्र के गांव के बच्चे कर पा रहे पढ़ाई

लॉकडाउन के बीच ‘नेबर कट्टा’ की वजह से महाराष्ट्र के गांव के बच्चे कर पा रहे पढ़ाई

लॉकडाउन के बीच ‘नेबर कट्टा’ की वजह से महाराष्ट्र के गांव के बच्चे कर पा रहे पढ़ाई
Modified Date: November 29, 2022 / 08:52 pm IST
Published Date: September 5, 2020 12:18 pm IST

औरंगाबाद, पांच सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच गांव के स्थानीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को सामाजिक दूरी के साथ पाठ्यक्रम पूरा कराने के लिए शिक्षकों ने दूरस्थ शिक्षा की एक नयी तरकीब निकाली है।

विश्व प्रसिद्ध अजंता की गुफाओं के नजदीक 165 लोगों की बस्ती दत्तावाडी स्थित जिला परिषद के प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों ने ‘नेबर कट्टा’ नाम से पहल शुरू की।

कट्टा का मराठी में अभिप्राय है वह स्थान जहां पर लोग अनौपचारिक रूप से मिलकर बात करते हैं।

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इस पहल के तहत शिक्षक पाठ्यक्रम से जुड़े काम बच्चों के माता-पिता के मोबाइल फोन पर भेज देते हैं और बच्चे, शिक्षकों द्वारा दिए गए कार्य को स्कूल के समय में एक स्थान पर छोटे समूह में सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन करते हुए जमा होकर पूरा करते हैं।

प्रत्येक समूह में अलग-अलग कक्षाओं के छात्र होते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर बड़ी कक्षा के विद्यार्थी छोटी कक्षा के विद्यार्थी की समस्या का समाधान कर सके।

काम करने के बाद उसकी तस्वीर शिक्षकों के व्हाट्सएप पर समूह में भेजी जाती है और जिसके बाद शिक्षक गलती होने पर विद्यार्थी से सुधार करने को कहता है।

यह गतिविधि इस साल अप्रैल से चल रही है।

स्कूल के हेडमास्टर बापू बाविस्कर ने कहा, ‘‘हमारे प्राथमिक स्कूल में केवल 19 विद्यार्थी हैं। लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद होने पर हमने ‘नेबर कट्टा’ बनाने का फैसला किया और इसका अनुपालन 19 अप्रैल से शुरू किया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘हमने अलग-अलग कक्षाओं के तीन-तीन बच्चों का समूह बनाया। उनके माता-पिता के फोन पर एसएमएस के जरिये गृहकार्य देते हैं क्योंकि अधिकतर माता-पिता के पास स्मार्टफोन नहीं है।’’

हेडमास्टर ने कहा, ‘‘हमने कुछ माता-पिता के लिए व्हाट्सएप समूह भी बनाया है। हमें छात्रों द्वारा किए गए गृह कार्य की तस्वीर इसके जरिये मिलती है। एक शिक्षक के नाते मैं उसकी जांच करता हूं। रोजाना चार घंटे इस तरह से कक्षा चलती है और इसमें से करीब ढाई घंटे का समय पढ़ाने को समर्पित है।

औरंगाबाद जिला परिषद में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी विजय दुतोंडे ने कहा, ‘‘ इस ऑनलाइन शिक्षा के विचार से विद्यार्थियों को सामाजिक दूरी के साथ पढाई जारी रखने में मदद मिली। ’’

बाविस्कर ने दावा किया कि ‘नेबर कट्टा’ विचार को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनीसेफ) और डिजाइन फॉर चेंज द्वारा आयोजित वर्ष 2020 में बदलाव के लिए सबसे अधिक प्रेरित करने वाले 30 विचारों की सूची में शामिल किया गया है।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप


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