गरियाबंद। दवभोग में माइक्रो फाईनेंस नाम की कंपनी 15 साल तक प्रशासन की नाक के नीचें करोडों रुपये का कारोबार करके चंपत हो गयी और प्रशासन को इसकी भनक तक नही लगी, अपने खुन पसीने की गाढी कमाई गंवा बैठे जिले के हजारों लोग अब सरकार से रकम वापस दिलाने की मांग कर रहे है।
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इसी के चलते अब ग्रामीण सरकार से सीधा सवाल कर रहे है। पुटपाथ पर बैठकर सब्जी बेचने वाली देवभोग निवासी मुक्ताबाई ने बताया कि 5 साल तक रोज उसने 10 रुपये माइक्रो फाईनेंस कंपनी में जमा किये ताकि समय पडने पर वह जमापूंजी निकालकर अपनी 6 बेटियों की शादी कर सके, मगर उसका ये सपना पुरा नहीं हो सका।
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कंपनी अपना बोरिया बिस्तर बांधकर चंपत हो गयी और मुक्ताबाई का सपना टुट गया, बल्कि मेहनत की कमाई भी हाथ से निकल गई। ऐसा ही हाल जूस की दुकान चलाने वाले देवभोग के गंजानंद बिसी और पानठेला की दुकान चलाने वाले रविन्द्रनाथ मरकाम का भी है, दोनो ने भविष्य का सुनहरा सपना देखते हुए 10-20 रुपये रोज कंपनी में जमा किया मगर कंपनी ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।
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इस विषय में ग्रामीणों और कंपनी के ब्रॉच मैनेजर की माने तो कंपनी ने 15 साल तक धडल्ले से गरियाबंद जिले में अपना कारोबार किया, कंपनी ने पहले लोगो का विश्वास जीता और फिर सबकुछ लेकर फरार हो गई। यदि अकेले गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड की बात की जाये तो यहॉ के 5000 से ज्यादा छोटे तबके के लोगो को कंपनी ने अपने झांसे में लेकर 10 करोड का जूना लगा दिया, यदि कंपनी के करोबार की गरियाबंद जिला के साथ छत्तीसगढ स्तर पर बात की जाये तो सैंकडो करोड रुपये डकारकर कंपनी रफू चक्कर हो गई। पीडित लोग अब सरकार से उनका पैसा वापिस दिलाने की मांग कर रहे है। ऐसे में गरियाबंद से सामने आये माइक्रो फाईनेंस कंपनी के काले कारनामे पर सरकार क्या कार्यवाही करती है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेंगा मगर फिलहाल गरियाबंद से ठगे गये लोग अपनी रकम वापिस मिलने की आखिरी आस केवल सरकार से ही लगाये बैठे है।