मुंबई, 19 जुलाई (भाषा) एल्गार परिषद् – माओवादी संबंध मामले में दिवंगत स्टैन स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह शानदार व्यक्ति थे और अदालत को उनके काम के प्रति ‘‘बहुत सम्मान’’ है।
न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन. जे. जामदार की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब अदालत को सूचित किया गया कि 84 वर्षीय स्वामी का यहां एके होली फैमिली अस्पताल में हृदय गति रूकने से निधन हो गया। इसी पीठ ने पांच जुलाई को स्वामी की चिकित्सा जमानत याचिका पर सुनवाई की थी।
न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘सामान्य तौर पर हमारे पास वक्त नहीं होता लेकिन मैंने अंतिम संस्कार (स्वामी का) देखा। यह बहुत सम्मानजनक था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘काफी शानदार व्यक्ति थे। उन्होंने समाज के लिए काम किया था। उनके कार्य के प्रति बहुत सम्मान है। कानूनन, उनके खिलाफ जो भी है वह अलग मामला है।’’
पीठ ने स्वामी के निधन के बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और अदालत की हुई आलोचनाओं का भी जिक्र किया।
इसने दुख जताया कि किस तरह कई मामलों में जेल में बंद विचाराधीन कैदी सुनवाई शुरू होने का इंतजार करते हैं।
बहरहाल, पीठ ने कहा कि उसने स्वामी की चिकित्सा जमानत याचिका पर निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की थी। साथ ही एल्गार-माओवादी संबंध पर उनके सह-आरोपियों की याचिकाओं पर भी निष्पक्ष सुनवाई हुई।
अदालत ने स्वामी के वकील मिहिर देसाई से कहा, ‘‘आप 28 मई को उनकी चिकित्सा जमानत याचिका के साथ आए और हमने हर बार हर आग्रह को स्वीकार किया।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि कोई इस बात का जिक्र नहीं कर रहा है कि इस अदालत ने काफी विरोध के बावजूद वरवर राव (सह-आरोपी) को जमानत दी।
उच्च न्यायालय द्वारा निष्पक्ष आदेश पारित करने की सोमवार को की गई टिप्पणी के बाद देसाई ने कहा, ‘‘मैं ऑन रिकॉर्ड कहता हूं कि इस मामले की सुनवाई करने वाली उच्च न्यायालय की विभिन्न पीठ से मैं काफी खुश हूं।’’
भाषा नीरज नीरज अनूप
अनूप
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