मुंबई, पांच अक्टूबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से मुंबई स्थित उनके बंगले के एक हिस्से को नगर निकाय द्वारा गिराए जाने के खिलाफ दायर याचिका के संबंध में सोमवार को दलीलें सुनने का कार्य पूरा किया और फैसला सुरक्षित रख लिया।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने लिखित हलफनामे में कहा दुर्भावना एवं निजी बदले की भावना से इनकार किया और कहा कि बंगले को आंशिक रूप से ढहाये जाने को लेकर बीएमसी से दो करोड़ रूपये का मुआवजा संबंधी रनौत का दावा ‘विचारयोग्य’ नहीं है।
उसने कहा कि काम रोको का नोटिस दिये जाने पर रनौत ने ‘गलत और टाल-मटोल वाला’ जवाब दिया था एवं इस बात से इनकार किया था कि वहां कोई अवैध निर्माण किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ ने याचिका पर पिछले सप्ताह सुनवाई की थी।
पीठ ने आदेश के इस इस विषय को बंद करने से पहले रनौत और बीएमसी के वकीलों के हलफनामे स्वीकार किये जिनमें उनकी दलीलों के सार थे।
अभिनेत्री के पाली हिल क्षेत्र में स्थित बंगले के एक हिस्से को अवैध निर्माण बताते हुए बीएमसी ने गिरा दिया था, जिसके बाद रनौत ने नौ सितंबर को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
अभिनेत्री ने अदालत से आग्रह किया है कि वह इमारत के एक हिस्से को गिराए जाने की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए बीएमसी को उन्हें क्षति की भरपाई के लिए दो करोड़ रुपये की राशि देने का निर्देश दे।
बीएमसी ने हलफनामे में कहा कि वह तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान कई चल संपत्ति एवं चीजों को नुकसान पहुंचने के अभिनेत्री के दावे का खंडन करती है तथा इस बात कोई सबूत नहीं है कि उस दौरान किसी चल संपत्ति या चीज को नुकसान पहुंचा।
रनौत ने अपने वकील डॉक्टर बीरेंद्र सराफ के जरिए आरोप लगाया है कि बीएमसी ने निर्माण गिराने का निर्णय दुर्भावना से लिया क्योंकि उनकी मुवक्किल ने मुंबई पुलिस के खिलाफ टिप्पणी की थी जिससे शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार का गुस्सा उन पर भड़क गया।
अभिनेत्री ने अपने बयान में शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता संजय राउत के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा है कि उन्हें कथित तौर पर धमकी दी गई।
भाषा राजकुमार माधव
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